10 अगस्त को इंदौर के अभय प्रशाल स्टेडियम में 13 वर्षीय बाल मुनि विजयचंद्र सागर ने अद्भुत स्मरण शक्ति का प्रदर्शन करते हुए 100 सवालों के सही, उल्टे और रैंडम क्रम में जवाब देकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया। इस अवसर पर उन्हें ‘बाल शतावधानी’ की उपाधि भी प्रदान की गई।
इन सवालों में धर्म, भूगोल, इतिहास, गणित और सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्न शामिल थे। बाल मुनि ने सवालों को न केवल क्रम में दोहराया, बल्कि उल्टे और बेतरतीब क्रम में भी उन्हें ठीक से याद रखा और जवाब दिया।
इस आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। सुबह 9 बजे से शुरू हुए कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ मौजूद रही। हर सही जवाब पर तालियों की गूंज और जयकारों से पूरा हॉल गूंज उठा। सवाल पूछने और जवाब देने की पूरी प्रक्रिया का अवलोकन गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने किया।
प्रश्न-जवाब की विशेष प्रक्रिया
बाल मुनि ने 100 सवाल सुनने में 2 घंटे 7 मिनट का समय लिया और सभी का जवाब केवल 12 मिनट 7 सेकंड में क्रमवार, उल्टे क्रम और रैंडम क्रम में दिया। श्रद्धालुओं ने भगवान मल्लिनाथ, शंखेश्वर तीर्थ, पंच परावर्तन, नदियों, पर्वतों, राज्यों, राजधानियों और गणित से जुड़े सवाल पूछे। उपस्थित लोगों को सवाल-जवाब मिलाने के लिए पेन, नोटबुक और किट दी गई थी।
10 साल की उम्र में दीक्षा
कोटा (राजस्थान) में जन्मे बाल मुनि ने पहला शब्द “दीक्षा” कहा। आठ वर्ष की आयु में गुरु के साथ जुड़ गए और मैसूर (कर्नाटक) में शिक्षा प्राप्त की। 10 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण कर जैन धर्म के प्रति अपना समर्पण दिखाया। उनकी स्मरण शक्ति और ज्ञान की लगन ने उन्हें असाधारण बना दिया।
शतावधान की परंपरा
वर्तमान में तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट और सरस्वती साधना रिसर्च फाउंडेशन, अहमदाबाद के तत्वावधान में 29 शिष्य चातुर्मास कर रहे हैं। इनमें से 12 शिष्य शतावधान और सहस्त्रावधान में निपुण हैं और 100 से 1000 तक बातें याद कर के तुरंत दोहराने की क्षमता रखते हैं। यह परंपरा स्मरण शक्ति और ज्ञान की अनोखी मिसाल है।