6 मार्च को अमेरिका द्वारा भारत के उत्पादों पर टैरिफ घटाने से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। टेक्सटाइल, लेदर, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और जेम्स और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों को खास फायदा होगा। यदि भारत औद्योगिक वस्तुओं पर शुल्क कम करता है, तो भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे।
कृषि उत्पादों पर शुल्क में कटौती मुश्किल दिख रही है, लेकिन औद्योगिक वस्तुओं पर राहत मिलने से निर्यात तेजी से बढ़ सकता है। वैश्विक स्तर पर टैरिफ वॉर (व्यापारिक युद्ध) शुरू करने के बाद अमेरिका ने आगामी दो अप्रैल से भारत के साथ पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। फैसले को लागू करने में ट्रंप प्रशासन की तत्परता को देखते हुए भारत के साथ पारस्परिक शुल्क को लागू करना तय माना जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अमेरिका से आने वाले औद्योगिक वस्तुओं के शुल्क को कम कर देता है या खत्म कर देता है, तो इससे भारतीय निर्यात में वृद्धि होगी।
भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 37 प्रतिशत शुल्क वसूलता है, लेकिन किसानों से जुड़े होने के नाते कृषि आइटम से जुड़े शुल्क को कम करना मुश्किल दिख रहा है। विशेषज्ञ पारस्परिक शुल्क को दो तरह से लागू करने की बात कह रहे हैं। एक तरीका यह होगा कि मान लीजिए कृषि आइटम पर भारत औसतन 37 प्रतिशत शुल्क वसूलता है और अमेरिका अभी पांच प्रतिशत शुल्क लेता है। आइटम के आधार पर पारस्परिक शुल्क वसूलने पर अमेरिका भी भारत के कृषि आइटम पर औसतन 37 प्रतिशत का शुल्क वसूलेगा।
पारस्परिक शुल्क लगाने का दूसरा तरीका यह है कि भारत लगभग 80 अरब डॉलर का अमेरिका को निर्यात करता है और अमेरिका लगभग 40 अरब डॉलर का करता है तो अमेरिका की कोशिश होगी कि व्यापार बढ़ाकर इस अंतर को कम किया जाए और शुल्क वसूली से होने वाली दोनों देशों की कमाई में भी अंतर नहीं रहे। ऐसे में भारत अमेरिका से पहले की तुलना में पेट्रोलियम पदार्थों का अधिक आयात कर सकता है।