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शिक्षा के विस्तार, लोकतंत्र के सिद्धांत के व्यापक फैलाव, अनुसंधान गतिविधियों के तीव्रीकरण तथा रिकॉर्डेड ज्ञान के उत्पादन में त्वरित वृद्धि ने पुस्तकालयों के विस्तार और उनकी सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पुस्तकालयों द्वारा प्रदत्त सेवाओं को अब वर्तमान में उसकी सूचना सेवाओं की भूमिका के रूप में परंपरागत प्राचीन पुस्तकालय कार्यों से मिश्रित करते हुए पुस्तकालय और सूचना सेवाएँ के नाम से पुकारा जाने लगा है। कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी ने भी सूचना सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरू कर दिया है। इस विषय क्षेत्र से दो अन्य शब्द जैसे कि डॉक्यूमेंटेशन तथा सूचना भंडारण और सुधार भी जुड़ गए हैं। अत: पुस्तकालयों के अलावा अब प्रलेखन केंद्र और सूचना केंद्र भी काम कर रहे हैं। विभिन्न नामों का प्रयोग होने के बावजूद इस विषय क्षेत्र में जरूरतमंदों के लिए सूचना सेवाएँ उपलब्ध होती हैं। इन पुस्तकालयों के प्रबंधन के लिए अच्छी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताएँ रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
परंपरागत लाइब्रेरी की बात करें तो हमारे मन में भारी भरकम अलमारियों या रैक में सजी किताबों के बीच बैठे किसी लाइब्रेरियन की तस्वीर उभरती है जिसके पास किताबों का ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज होता था और संदर्भ के लिए किताबें ढूंढने में खासी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन इंटरनेट के युग में आज वही लाइब्रेरी इन्फॉर्मेशन सेंटर के रूप में विस्तार पा चुकी है। यानी आज लाइब्रेरी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है, बदलते जमाने के साथ उसने भी हाइटेक बाना पहन लिया है। पहले लाइब्रेरी का स्वरूप केवल पुस्तकों के स्टोर रूम के रूप में होता था और लाइब्रेरियन का काम भी काफी सीमित होता था लेकिन अब सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में लाइब्रेरी का स्वरूप और लाइब्रेरियन का दायित्व तथा कार्यशैली पूरी तरह बदल गई है। लाइब्रेरियन के लिए कम्प्यूटर का ज्ञान अत्यावश्यक हो गया है। इसके अतिरिक्त इंटरनेट सर्चिंग और ऑनलाइन डाटा बेस का ज्ञान भी आवश्यक योग्यता हो गई है।
लाइब्रेरियन के पेशे में कई तरह की दक्षताओं और कार्यकुशलता की आवश्यकता होती है। तकनीक की व्यावहारिक समझ रखने के अलावा जरूरी है कि एक लाइब्रेरियन के पास संगठनात्मक पद्धति के अनुसार कार्य करने की क्षमता और उत्कृष्ट कम्युनिकेशन स्किल्स हो। जरूरी है कि वह अपने सहयोगियों के साथ शांतिपूर्ण व बेहतर ढंग से कार्य करते हुए सही सूचनाएँ एकत्र कर सके। जहाँ तक वेतनमान का सवाल है तो एक लाइब्रेरियन को उसकी योग्यता तथा लाइब्रेरी के आकार व प्रकार के आधार पर भुगतान किया जाता है। भारत में एक स्कूल लाइब्रेरियन को टीचर के समकक्ष तथा कॉलेज लाइब्रेरियन को लेक्चरर के समकक्ष वेतन दिया जाता है।
लाइब्रेरी तथा इन्फॉर्मेशन साइंस मात्र एक अकादमिक विषय क्षेत्र नहीं है। यह एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है जिसमें व्यावहारिक, प्रेक्षण तथा प्रायोगिक अध्ययन शामिल है। तेजी से उभरते इस पेशे की माँग को देखते हुए कई संस्थानों ने अपने लाइब्रेरी साइंस कोर्स के माड्यूल में पेशेवर बदलाव लिए हैं, जैसे सूचनाओं की प्राप्ति के लिए कम्प्यूटर तकनीक का प्रयोग। पहले की पारंपरिक तकनीकों की तुलना में आज के दौर में लाइब्रेरियन कोर्स में आधुनिक तकनीक जैसे कि सूचना प्रबंधन व तकनीक, रिसर्च तकनीक, कैटलॉग और विभिन्न सेवाओं का वर्गीकरण आदि का समावेश हुआ है। लाइब्रेरी साइंस में समय के साथ डाटा बेस मैनेजमेंट, इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे नए विषय क्षेत्र जुड़ गए हैं। भारत में ज्यादातर विश्वविद्यालय लाइब्रेरी और इन्फॉर्मेशन साइंस में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवा रहे हैं। लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस में उपलब्ध प्रमुख पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं-
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लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस में प्रमाणपत्र
(सीएलआईएससी) तथा पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाणपत्र (सीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन
पाठ्यक्रमों की अवधि 3 से 6 माह है तथा इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक
योग्यता मैट्रिक या समकक्ष है।
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लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस में डिप्लोमा (डीएलआईएससी)
तथा पुस्तकालय विज्ञान में डिप्लोमा (डीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों की अवधि
एक वर्ष निर्धारित है तथा इन पाठ्यक्रमों हेतु शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण
है।
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लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस में बैचलर डिग्री
(बीएलआईएससी) तथा लाइब्रेरी साइंस में बैचलर डिग्री (बीएलएससी) पाठ्यक्रम। इन
पाठ्यक्रमों की अवधि तीन वर्ष है। इन पाठ्यक्रमों
हेतु शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण है।
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मास्टर ऑफ लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस (एमएलआईएससी)
तथा मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस (एमएलएससी) पाठ्यक्रम। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश
हेतु बीएलआईएससी/बीएलएससी होना आवश्यक है।
इन पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस में अन्य कई पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं। लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन साइंस के कुछ पाठ्यक्रम पत्राचार माध्यम से भी किए जा सकते हैं।
पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लेक्चररशिप के लिए पात्रता के निर्धारण हेतु यूजीसी नेट का भी एक विषय है। यदि कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को एक शिक्षक के रूप में अपनाना चाहता है तो उसे पुस्तकालय तथा सूचना विज्ञान में यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। शिक्षण में रोजगार विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, बहुतकनीकी संस्थानों, आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध हैं। अपनी अकादमिक और व्यावसायिक योग्यताओं के अनुरूप आप इस व्यवसाय को एक पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में अपना सकते हैं। पुस्तकालय से जुड़े व्यवसाय में पद निम्न प्रकार हो सकते हैं- पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रलेख अधिकारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष उप-पुस्तकालयाध्यक्ष, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, ज्ञान अधिकारी, सूचना कार्यकारी, सूचना विश्लेषक आदि। देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन के कारण भी इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए कार्पोरेट जगत में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इसके अतिरिक्त सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में भी अपार संभावनाएँ हैं। लाइब्रेरी साइंस के प्रोफेशनल्स पुस्तकालयों के अतिरिक्त बुक पब्लिशर वर्कर, चीफ इन्फॉर्मेशन ऑफिसर, कन्टेंट मैनेजर, डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर, इन्फॉर्मेशन ब्रोकर और वेबमास्टर आदि पदों पर काम करते हुए अच्छी तनख्वाह पा सकते हैं।
लाइब्रेरी एंड इन्फॉर्मेशन
साइंस में पाठ्यक्रम कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
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पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर।
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डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर।
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गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर।
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गवर्नमेंट वीवायटी पीजी ऑटोनोमस कॉलेज, दुर्ग।
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इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
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राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना संसाधन संस्थान, नई दिल्ली।
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दिल्ली विश्वविद्यालय,
दिल्ली।
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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
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लखनऊ विश्वविद्यालय,
लखनऊ।
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दिल्ली विश्वविद्यालय,
दिल्ली।
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पुणे विश्वविद्यालय,
पुणे।
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डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)