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वर्तमान समय में जैसे-जैसे आपाधापी वाली जीवनशैली बढ़ती जा रही है और मशीनीकरण व डेस्क लाइफस्टाइल के कारण लोगों के लिए मस्कुलर स्केलेटल प्रॉब्लम के कारण पीठ दर्द, कंधे और गर्दन में अकड़न, घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस आदि बढ़ रही हैं, शरीर के विभिन्न अंगों के सुचारू रूप से काम करने संबंधी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, बढ़ती हुई दुघर्टनाओं से हड्डियों और मांस पेशियों के क्षतिग्रस्त होने के आंकड़ों का ग्राफ बढ़ रहा है वैसे-वैसे फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्यूटीओ) के अनुसार भारत में इस समय करीब 95,000 फिजियोथेरेपिस्ट की कमी है।
शारीरिक चिकित्सक के रूप में मानव सेवा के साथ करियर
गौरतलब है कि फिजियोथेरपी कराने वाले व्यक्ति को फिजियोथेरेपिस्ट कहा जाता है। एक फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाओं में प्रोफेशनल्स के लक्षण होते हैं जो प्रीवेंटिव, रेस्टोरेटिव और रिहैबिलेटिव के रूप में काम करता है। वह हेल्थ सेंटर या वैलनेस सेंटर में ट्रेनर के रूप में अपनी भू्मिका निभाता है। इसके अलावा परिस्थितियों के आधार पर विभिन्न रोल में अपनी सेवाएं देता है। एक फिजियोथेरपिस्ट यानी शारीरिक चिकित्सक का काम मरीज़ों को शारीरिक एक्सरसाइज करवाना है। इसमें मशीनों के ज़रिये एक्सरसाइज करवाना और बोलचाल के ज़रिये उनका मानसिक प्रेशर कम करना भी शामिल होता है। फिजियोथेरेपिस्ट अपने विशेष ज्ञान, अनुभव व तकनीकों का इस्तेमाल शरीर के विभिन्न तंत्रों में आए विकारों और अन्य समस्याओं का समाधान करते हैं। इनमें विशेषत: ब्रेन व नर्वस सिस्टम, मांसपेशियों, जोड़ों, हृदय व श्वास संबंधित बीमारियाँ भी मुख्य होती हैं। फिजियोथेरेपी के अंतर्गत हीट रेडिएशन, मसाज, ट्रेक्शन, वाटर थैरेपी और डायथर्मी आदि उपचार किए जाते हैं। इसमें फिजिकल व साइकोलॉजिकल एप्रोच का सहारा भी लिया जाता है।
फिजियोथेरेपी एक तेजी से बढ़ता हुआ बहुआयामी करियर विकल्प
भारत में फिजियोथेरेपी एक तेजी से बढ़ता करियर विकल्प है। सरकारी और निजी क्षेत्र में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए रोजगार की असीम संभावनाएँ हैं। कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता और ज्यादा बढ़ गई है, तब से एक फिजियोथेपिस्ट के लिए जाब की संभावनाएं और भी कई रूपों में बढ़ गई हैं। सरकारी अस्पतालों में फिजियोथेरेपिस्ट को ही भौतिक चिकित्सक भी कहते हैं। यह एक स्थायी पद होता है। सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी फिजियोथेरेपिस्ट प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। फिजियोथेरेपी में डिग्री कोर्स करने वालों के लिए निजी क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरी के मौके निजी हास्पिटल्स, पाली क्लिनिक या मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल्स जैसी जगहों पर हैं। इसके अतिरिक्त, फिजियोथेरेपी में योग्यता वाले कैंडिडेट आउट पेशेंट क्लीनिक, कम्युनिटी हेल्थ केयर सेंटर, हेल्थ क्लब, स्पेशल स्कूल और सीनियर सिटिजन सेंटर आदि में काम कर सकते हैं। विभिन्न स्पोर्ट्स सेंटर, टीचिंग, विदेशों में काम करने वाले विभिन्न कंपनियों आदि के साथ काम कर सकते हैं।
फिजियोथेरेपी में स्वरोजगार के भी काफी अवसर हैं। कोरोनाकाल के बाद इस तरह की सेवाएं अब लोग अपने घरों पर भी लेने लगे हैं। इस तरह की होम विजिट के लिए लोग खुशी-खुशी फिजियोरेपिस्ट को तय शुल्क का भुगतान भी करने को तैयार होते हैं। मोबाइल यूनिट भी इसी का एक रूप है, जिसके माध्यम से आजकल घर-घर फिजियोथेरेपी सेवाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा, एक फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में अपना खुद का सेंटर खोलकर भी फिजियोथेरेपी सेवाएं दे सकते हैं।
फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में रिसर्च की असीम संभावनाएं हैं। इसके लिए आइसीएमआर, डीबीटी, डीआरडीओ, आइएनएसए, सीएसआइआर जैसे राष्ट्रीय संस्थान अनुदान भी देते हैं। राज्य सरकारों ने भी प्रविधान बना रखे हैं। रिसर्च के बाद एक रिसर्च एसोसिएट के रूप में या प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं। देश ही नहीं विदेशों में भी फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में युवाओं के सम्मुख शानदार अवसर मौजूद हैं। जहाँ तक आय की बात की जाए तो एक फिजियोथेरेपिस्ट की आय उसके अनुभव के साथ बढ़ती जाती है।
फिजियोथेरेपिस्ट के करियर के लिए जरूरी स्किल्स
फिजियोथेरेपिस्ट के करियर के लिए कुछ स्किल्स जरूरी होती हैं। फिजियोथेरेपिस्ट के मन में मानव सेवा का लक्ष्य होना चाहिए। रोगी और अन्य लोगों के साथ कुशलता से संवाद करने की स्किल होनी चाहिए। फिजियोथेरेपिस्ट के पास टीमवर्क स्किल होनी चाहिए ताकि उन्हें टीम में काम करने में आसानी हो। फिजियोथेरेपिस्ट को सहनशील और धैर्यवान होना चाहिए। फिजियोथेरेपिस्ट को दबाव में काम करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि कई ऐसे मौके होते हैं जब रोगी को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसे में शांत बने रहते हुए रोगी के रोग का निदान करना चाहिए। फिजियोथेरेपिस्ट के पास तकनीकी कौशल के साथ-साथ समय पर निर्णय लेने और रोगी को समय प्रबंधन के साथ उपचार प्रदान करने की स्किल्स होनी चाहिए।
फिजियोथेरेपिस्ट कैसे बनें
गौरतलब है कि फिजियोथेरेपी के डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलाजी के साथ 12वीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से फिजियोथेरेपिस्ट की डिग्री ले सकते हैं जिसे बीपीटी कहा जाता है। इसकी अवधि चार वर्ष होती है। फिजियोथेरेपिस्ट कोर्स की पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री को एमपीटी कहा जाता है। इसकी अवधि दो वर्ष होती है। फिजियोथेरेपी में डिप्लोमा भी किया जा सकता है। फिजियोथैरेपी के अंतर्गत फिजियोथेरपी, मानव शरीर, कार्डिओवेस्कुलर जैसे विषयों पर पढ़ाया जाता है। इस समय अभी देश में बीपीटी के करीब 350 तथा एमपीटी के करीब 200 संस्थाएं हैं। चूँकि फिजियोथेरेपी कोर्स में प्रैक्टिकल की बहुत जरूरत होती है। यह मानव स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस क्षेत्र में आनलाइन या डिस्टेंस मोड के कोर्स को मान्यता प्रदान नहीं की जाती है। यह भी महत्वपूर्ण है कि देश के कई विश्वविद्यालयों और चिकित्सा से जुड़े विभिन्न संस्थानों के द्वारा प्रवेश परीक्षा आयोजित करके फिजियोथेरेपी कोर्स में प्रवेश दिए जाते हैं।
फिजियोथेरेपी का कोर्स कहाँ से किया जाए ?
मध्यप्रदेश और देश के कोने-कोने में फिजियोथेरेपी के डिप्लोमा, डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएशन कराने वाले कई संस्थान हैं। यदि आप की रुचि फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में मानव सेवा का करियर बनाने की है, तो अपनी क्षमता और योग्यता के अनुरूप पढ़ाई हेतु किसी उपयुक्त फिजियोथेरेपी संस्थान का चयन करके करियर की डगर पर आगे बढ़ सकते हैं।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)