BLOG

यकीनन कोरोना महामारी के बाद चिंता, अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य के मामले में जितनी तेजी से बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से मनोविज्ञान के क्षेत्र में करियर के मौके बढ़े हैं। वस्तुतः मानव का मस्तिष्क अत्यधिक जटिल है तथा उतनी ही जटिल है, उसकी कार्य-पद्धति। मनोविज्ञान हमें मानव मस्तिष्क की जानकारी प्रदान करता है। मनोविज्ञान में हम मानव मस्तिष्क की प्रकृति, प्रक्रिया, प्रतिक्रिया तथा इससे जुड़े अन्य पहलुओं का अध्ययन करते हैं। जो युवा इस जटिलता को समझना चाहते हैं कि मनुष्य का मस्तिष्क कैसे सोचता है, क्रिया एवं प्रतिक्रिया कैसे करता है और ऐसी समस्याओं का निदान कैसे किया जा सकता है, वे अपने अध्ययन तथा करियर के क्षेत्र रूप में मनोविज्ञान का चयन कर सकते है।
चिंता, तनाव और अवसाद के समाधान में करियर
हाल ही में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में लगभग एक अरब लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। यानी दुनिया में हर 8 में से एक व्यक्ति चिंता या अवसाद का शिकार है। वर्ष 2020 में दुनिया के सामने आई कोरोना महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को बढ़ा दिया है। वस्तुतः भूमंडलीकरण और उदारीकरण के साथ कोविड-19 के कारण आदमी की मानसिक स्थिति चिंता, अवसाद, तनाव व समस्याओं जैसे-जैसे कमजोर होती जा रही है, वैसे-वैसे मनोविज्ञान की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। ऐसे में मनोविज्ञान विषय युवाओं की पसंद बनता जा रहा है।
मनोविज्ञान में करियर की स्किल्स
मनोविज्ञान में आकर्षक करियर बनाने के लिए व्यक्तियों, उनकी सोच-पद्धतियों, सामाजिक प्रवृत्तियों तथा मानव संबंधों की जटिलताओं में रुचि होनी चाहिए। मनोविज्ञान से संबंधित करियर में सफल होने के लिए अच्छे संचार कौशल, संवेदनशीलता, धैर्य, सहानुभूति वास्तविकता एवं ऐसे अन्य गुणों का विकास करने की आवश्यकता होती है। मरीज के प्रति पूर्वाग्रह रहित होकर काम करना होता है। काउंसलिंग के लंबे घंटे शारीरिक रूप से थकाने वाले हो सकते हैं। स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होता है। संवेदनशीलता, मरीज से भावनात्मक जुड़ाव से अलग रहते हुए उसका इलाज करना एक चुनौती होती है।
मनोविज्ञान में करियर के विविध क्षेत्र
करियर निर्माण की दृष्टि से मनोविज्ञान की कई विधाएँ हैं। इनमें प्रमुखतया शैक्षिक मनोविज्ञान, बाल मनोविज्ञान, सामाजिक मनोविज्ञान, औद्योगिक मनोविज्ञान, प्रायोगिक मनोविज्ञान, खेल मनोविज्ञान, नैदानिक मनोविज्ञान (क्लिनिकल साइकोलॉजी), मनोविकृति मनोविज्ञान आदि शामिल हैं। कोविड-19 के बाद परामर्श मनोविज्ञान- तेजी से आगे बढ़ा है। परामर्श मनोविज्ञान प्रैक्टिशनर्स, जिन्हें परामर्शदाता कहा जाता है, व्यक्तियों से बात करते हैं, उनकी मानसिक स्थिति को समझते हैं तथा उन्हें परेशान करने वाली समस्याओं से उबरने के श्रेष्ठ उपाय उन्हें सुझाते हैं। काउंसलर और साइकोलॉजी थेरेपिस्ट में खास अंतर यह है कि काउंसलर परामर्शदाता के रूप में ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद कर सकता है। वह साइकोलॉजिकल टेस्टिंग या एक साइकोलॉजी थेरेपिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस नहीं कर सकता। वस्तुतः बिना किसी योग्य प्रशिक्षण के साइकोलॉजी थेरेपी की प्रैक्टिस मान्य नहीं होती। इसके लिए कम से कम 6 माह या एक साल की इंटर्नशिप और सर्टिफिकेट कोर्स करना जरूरी होता है।
मनोविज्ञान में करियर के मौके
एक मनोवैज्ञानिक के रूप में आपका कार्य क्षेत्र मुख्य रूप से आपके द्वारा चुनी गई विशेषज्ञता पर निर्भर करेगा। मनोवैज्ञानिकों के लिए औद्योगिक एवं सेवा-संगठनों, बड़े अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों सहित शैक्षिक संस्थाओं, व्यावसायिक मार्गदर्शन केंद्रों, समाज कल्याण संगठनों, पुनर्वास केन्द्रों तथा प्रसिद्ध गैर सरकारी संगठनों में कार्य के अवसर उपलब्ध होते हैं। कई मामलों में, मनोवैज्ञानिक को मानव संसाधन विभागों तथा कॉर्पोरेट जगत के प्रशिक्षण केंद्रों में कार्य के अवसर प्राप्त होते हैं। बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)जैसे संगठनों को भी मनोवैज्ञानिकों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। मनोविज्ञान के छात्रों के लिए अस्पतालों व स्वास्थ्य सेवाओं में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर के रूप में काम करने का भी एक बड़ा अवसर है। आज निजी और सरकारी दोनों तरह के अस्पतालों में काउंसलर नियुक्त होते हैं। मनोविज्ञान के कोर्स को करने के उपरांत कॉलेज व विश्वविद्यालयों में मनोविज्ञान के छात्रों को अध्यापन करने का मौका मिलता है।
यह भी उल्लेखनीय है कि मैनेजमेंट संस्थान बिजनेस कम्युनिकेशन व एच.आर. का विषय पढ़ाने के लिए मनोविज्ञान के छात्रों को अपने यहाँ रख रहे हैं। निजी कंपनियों के अलावा डीआरडीओ लैब में साइंटिस्ट बी ग्रेड में मनोविज्ञान के छात्रों की नियुक्ति होती है। इसके लिए जरूरी है कि आपके पास मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हो। हाल के वर्षों में मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों की माँग में काफी इजाफा हुआ है। साथ ही कोविड-19 ने समाज के लिए मनोवैज्ञानिकों की जरूरत बढ़ा दी है।
मनोविज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम
एक स्वतंत्र विषय के रूप में मनोविज्ञान का अध्ययन अधिकांशत: कला विधा में बारहवीं स्तर पर किया जा सकता है। स्नातक स्तर पर इस विषय का अध्ययन अन्य विषयों के एक युग्मक के साथ किया जा सकता है। देश के विभिन्न विश्व विद्यालयों और मनोविज्ञान से सम्बद्ध विशेष नेशनल इंस्टिट्यूट में मनोविज्ञान से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएशन के विभिन्न कोर्स उपलब्ध हैं। इनमें बीए/बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी, एमए/ एमएससी इन साइकोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजी। सर्टिफिकेट कोर्स फॉरकाउंसलिंग, डिप्लोमा इन साइकोलॉजिकल मेडिसिन, मेडिसिन एंड सोशल साइकोलॉजी, क्लीनिकल साइकोलॉजी में पीएचडी, साइक्रेट्रिक नर्सिंग में डिप्लोमा आदि भी डिमांड में हैं। यद्यपि साइकोलॉजी टेस्टिंग के ऑनलाइन कोर्स भी उपलब्ध हैं, लेकिन साइकोलॉजी का रेगुलर कोर्स करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसमें व्यावहारिक तौर पर अधिक उपयोगी सीखने को मिलता है। यदि आप मनोविज्ञान के क्षेत्र में करियर बना चाहते है तो अपनी उपयुक्तता के अनुरूप किसी गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक संस्थान से मनोविज्ञान का उपयुक्त कोर्स करके करियर की डगर पर आगे बढ़ सकते है।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)