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आपदा प्रबंधन में करियर के मौके


जैसे-जैसे दुनिया में आपदाएँ बढ़ती जा रही हैं, वैसे-वैसे आपदा प्रबंधन (डिजास्टर मैनेजमेंट) में करियर के मौके बढ़ते जा रहे हैं। आपदाओं की बात की जाए तो आपदाएँ तीन प्रकार की होती हैं। एक, प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप, समुद्री तूफान, सुनामी, बाढ़ आदि। दो,  मानव सृजित आपदाएँ जैसे भोपाल गैस त्रासदी तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूक्रेन में घटित तबाही और तीन, हाइब्रिड आपदाएँ जैसे कोरोना महामारी, पर्यावरण विनाश से उपजी आपदाएँ आदि। इन आपदाओं के कारण जीवन तथा संपत्ति को भारी नुकसान होता है।


प्राकृतिक आपदाओं के बीच आपदा प्रबंध की अहमियत

गौरतलब है कि हमारे देश का लगभग 60 प्रतिशत भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। 8 प्रतिशत क्षेत्र तूफान के मामले में और 12 प्रतिशत हिस्सा बाढ़ के मामले में संवेदनशील है। 5700 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा तूफानों के लिए संवेदनशील है तथा 68 प्रतिशत क्षेत्र सूखे की दृष्टि से संवेदनशील बताए गए हैं। देश में बाढ़ के प्रभाव वाले इलाकों का कुल क्षेत्रफल चार करोड़ हेक्टेयर है।

दुनियाभर में प्राकृतिक आपदाओं में खासी वृद्धि हुई है जिससे मानव और आर्थिक क्षति में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना ने देश और दुनिया के कोने-कोने में अकल्पनीय आपदाओं को जन्म दिया। भारत अभी कोरोना की दूसरी लहर के कहर से उभर भी नहीं पाया था कि अरब सागर से उठे चक्रवात टावटे ने केरल, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के तटवर्ती जिलों में तबाही मची दी। वर्ष 2021 में भारत में उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटना भी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा रही। जून- जुलाई 2022 में यूरोप और अमेरिका के जंगलों में लगी बेकाबू आग भी दुनिया की भीषण आपदा मानी गई है। ऐसी बढ़ती हुई आपदाएँ आपदा प्रबंध में करियर के मौके बढ़ा रही हैं।

आपदा प्रबंधन में करियर के विविध आयाम

आपदा प्रबंधन एक बहु विषयक क्षेत्र है, जिसमें व्यापक मुद्दे, जैसे कि निगरानी, मू्ल्यांकन, खोजबीन और बचाव, राहत, पुनर्निर्माण और पुनर्वास आदि शामिल होते हैं। इसमें बहु क्षेत्रीय शासन व्यवस्था, वैज्ञानिक, नियोजक, स्वयंसेवी और समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन भूमिकाओं और गतिविधियों में आपदा पूर्व, आपदा के दौरान तथा आपदा उपरांत के चरण शामिल होते हैं। आपदा प्रबंधन और कुछ नहीं, बल्कि यह तो आपदाओं के नियंत्रण का कौशलपूर्ण मार्ग, तरीका तथा पद्धति है। जब जनता को आपदाओं के बारे में शिक्षा प्रदान की जाती है तथा उनमें जागरूकता पैदा की जाती है तो आपदा प्रबंधन एक आसान कार्य हो जाता है। इस तरह आपदा प्रबंधन में करियर के विभिन्न आयाम हैं।

आपदा प्रबंधन में करियर की स्किल्स

वे युवा जो संकट एवं आपदाओं के समय लोगों की मदद करने की इच्छा रखते हैं, वे आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अपना चमकीला करियर बना सकते हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों के स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के साथ मिलकर आपदाओं से निपटने में अपना सहयोग देते हैं। तूफान, बाढ़ आदि में राहत पहुंचाने के अलावा कोविड जैसे हालात में लोगों को सही जानकारी देने, उन्हें जागरूक करने या बीमारियों के बारे में उन्हें समझाने के लिए रूचि तथा ऐसी मुश्किलों के बीच साहस के साथ उनकी मदद की भावना होना जरूरी है। डिजास्टर मैनेजमेंट की पढ़ाई के साथ-साथ जो लोग समाजसेवा से जुड़े हैं या फिर साइकोलॉजी पृष्ठभूमि से हैं, उनके लिए निकट भविष्य में यह एक अच्छा फील्ड हो सकता है। जज्बे, जुनून व समर्पण की भावना रखने वाले युवाओं के लिए आपदा प्रबंधन के  क्षेत्र में अच्छे करियर की संभावनाएँ होती हैं।

आपदा प्रबंधन में रोजगार के मौके कहाँ-कहाँ हैं ?

आपदा प्रबंधन का समुचित कोर्स कर चुके युवाओं के लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में जॉब्स की बेहतर संभावनाएं हैं। आपदा प्रबंधन का कोर्स करने के उपरांत, आपातकालीन सेवाओं, कानून लागू करने वाले विभागों आदि में रोजगार मिलता है। आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को राहत एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र आदि में भी नियुक्त किया जाता है। रसायन, खनन और पेट्रोलियम जैसे ज्यादा जोखिम वाले बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में विशेष आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ होते हैं।

आपदा प्रबंधन में प्रवेश और संबंधित संस्थान

आपदा प्रबंधन का कोर्स किसी भी विषय समूह से स्नातक के उपरांत किया जा सकता है। कुछ संस्थानों में बारहवीं के बाद भी प्रवेश दिया जाता है। अधिकांश आपदा प्रबंधन के कोर्स में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से दिया जाता है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि जब भी देश में कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) के जवानों के साथ आपदा प्रबंधन की डिग्री रखने वाले पेशेवर लोगों की जानमाल को बचाने में सबसे आगे होते हैं। अर्द्ध सैनिक बलों से आए जवान किसी भी तरह की आपदा से निपटने में पूरी तरह प्रशिक्षित होते हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में आम नागरिकों की सीधी भर्ती नहीं होती है। इस फोर्स में जवान देश के अर्द्धसैनिक बलों से प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) के आधार पर सात साल के लिए आते हैं।

उल्लेखनीय है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई, भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरणीय संस्थान, नई दिल्ली,इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली सहित देश के कोने-कोने में स्थित शिक्षण संस्थानों में से किसी उपयुक्त संस्थान का चयन करके आपदा प्रबंधन का उपयुक्त कोर्स करके आपदा प्रबंधन में करियर की डगर पर आगे बढ़ा जा सकता है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर)

111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)