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माउंटेनियरिंग में करियर के उजले अवसर


जीवन की उत्पत्ति से लेकर अब तक न जाने कितने रहस्य मनुष्य द्वारा सुलझाए जा चुके हैं लेकिन फिर भी प्रकृति हमारे लिए अजेय ही बनी रहेगी। यह जानते हुए भी मनुष्य लगातार कुदरत के करिश्मों को खंगालने में लगा हुआ है। इन्हीं में से एक जुनून है, माउंटेनियरिंग अर्थात पर्वतारोहण का। माउंटेनियरिंग में रोमांच के साथ रोजगार के भी उजले अवसर होते हैं। यकीनन आज हॉबी के साथ-साथ माउंटेनियरिंग युवाओं के लिए रोजगार का आधार भी बन चुका है। यह क्षेत्र साहसी और जोखिम से खेलने वाले युवक और युवतियों को बहुत  आकर्षित करता है।


इसमें कोई दो मत नहीं है कि माउंटेनियरिंग अनुशासन की कला सिखाता है क्योंकि आत्मविश्वास और अनुशासन के बगैर माउंटेनियरिंग के क्षेत्र में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। माउंटेनियर्स के जीवन में ऐसे कई क्षण भी आते हैं जब वे अपने को बहुत भारी मुसीबत के करीब पाते हैं। ऐसी स्थिति में त्वरित निर्णय लेना पड़ता है। अर्थात तुरंत निर्णय लेने की क्षमता, दृढ़ निश्चयी होना तथा खतरों से खेलने का शौक होने पर ही इस क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। माउंटेनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रकृति से लगाव होना भी बहुत जरूरी है। प्राकृतिक दृश्यों में जीवन की सुरक्षा तलाशने वाला व्यक्ति इस क्षेत्र चमकीला करियर बना सकता है।

 

जो युवा हर तरह की कठिनाइयों और समस्याओं से जूझने का माद्दा रखते हैं, उन्हें माउंटेनियरिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहिए। माउंटेनियरिंग को दुनियाभर में एक रोमांचक खेल के रूप में देखा जाता है। हालांकि चाहे विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट हो या फिर दूसरी कोई अन्य चोटी बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के कोई भी माउंटेनियर (पर्वतारोही) इन पर चढ़ाई नहीं कर सकता है। गौरतलब है कि तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी से लेकर बछेंद्रीपाल, कामी रीता शेरपा आदि तक बहुत से जांबाज युवक-युवतियाँ इस क्षेत्र में अपना मुकाम तलाश चुके हैं तथा उन्होंने मानव हित में प्रकृति के अनेक रहस्य भी सुलझाए हैं।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले की 12 वर्षीय कु. प्रीति परमार ने यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत एल्ब्रस की चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की है। प्रीति ने गत 16 अगस्त, 2024 को बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की और 9 घंटे के भीतर शिखर तक पहुंच गईं। आस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊँची माउंट कोसियुज्को पर भगवान सिंह कुशवाह ने तिरंगा लहराया। श्री कुशवाह ने 15 अगस्त,2024 के दिन वहाँ पर सर्वप्रथम पहुँचकर हर घर तिरंगा’’ अभियान अंतर्गत राष्ट्रीय ध्वज लहराया और राष्ट्रीय गान गाकर देश और प्रदेश को गौरवान्वित किया। श्री कुशवाह माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पहले मध्यप्रदेश के पर्वतारोही भी हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 में श्री कुशवाह को साहसी खेल में विक्रम अवार्ड से सम्मानित करते हुए ऊर्जा विभाग शासकीय सेवा में सहायक ग्रेड-3 के पद पर नियुक्ति प्रदान की है। माउंटेनियरिंग के दौरान माउंटेनियर्स, पहाड़ों को एक्सप्लोर करते हैं ताकि उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारियाँ जुटाई जा सकें। माउंटेनियरिंग के क्षेत्र में वही कामयाब हो सकते हैं जो हर तरह की परिस्थिति और दिक्कतों से जूझने का माद्दा रखते हैं।

 

माउंटेनियरिंग में जो प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं वे इस प्रकार हैं-

 

·                    क्लाइंबिंग - पहाड़ की ऊँचाई, पहाड़ की प्रकृति आदि को ध्यान में रखकर पहाड़ की चढ़ाई करना, क्लाइंबिंग कहलाता है।

·                    कैंपिंग - पहाड़ पर चढ़ाई करने के दौरान कैंप लगाकर कई दिनों तक पहाड़ पर सीमित संसाधनों के साथ रहना और वहाँ की जलवायु के अनुसार खुद को ढालना या व्यवस्थित करना कैंपिंग एक्टिविटी में शामिल है।

·                    स्नो ट्रेकिंग - किसी बर्फ से ढके पहाड़ जैसे माउंट एवरेस्ट पर तापमान और वातावरण संबंधी बाधाओं को पार करते हुए उस पर चढ़ाई करना, स्नो ट्रेकिंग कहलाता है।

·                    हाइकिंग- लंबी दूरी के लिए तेज गति से किसी पहाड़ की चढ़ाई करने को हाइकिंग कहा जाता है। हाइकिंग स्वास्थ्य संबंधी फायदों और एक्सरसाइज के उद्देश्य से की जाती है।

 

यकीनन माउंटेनियरिंग में करियर बनाने के लिए प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। माउंटेनियरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ व्यक्ति न केवल सफल पर्वतारोही बन सकता है बल्कि भूकम्प जैसी आपदाओं के समय भी लोगों की जान बचाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। माउंटेनियरिंग से संबंधित कई प्रकार के जॉब ओरिएंटेड कोर्स अस्तित्व में आ चुके हैं। माउंटेनियरिंग में बैचलर डिग्री कोर्स तीन वर्षों में पूरा किया जा सकता है। इसमें प्रवेश के लिए बारहवीं कक्षा किसी भी विषय समूह से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा तथा प्रोफेशनल डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट होना आवश्यक है। तीन एवं छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में प्रवेश के लिए दसवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा भी सर्च एंड रेक्यू कोर्स, बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स, एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स, मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन आदि कोर्स की भारी माँग है।

 

·                    बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स - बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स या बीएमसी में चट्टानों पर और बर्फ एवं बर्फबारी के दौरान माउंटेन क्लाइबिंग के बारे में विस्तार से प्रेक्टिकली प्रशिक्षण दिया जाता है।

·                    एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स-  एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स या एएमसी कोर्स में उम्मीदवार को माउंटेनियरिंग की एडवांस तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। इस कोर्स में अभियानों के लिए योजना बनाने और उन पर अमल करने जैसी तकनीकें सिखाई जाती हैं।

·                    सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) कोर्स - सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स में उम्मीदवार को माउंटेनियरिंग के दौरान रेस्क्यू की स्थितियों में फर्स्ट एड के साथ ही सर्चिंग के लिए नेविगेशन तकनीकों की गहन जानकारी दी जाती है।

·                    मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स - मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन (एमओआई) नामक यह कोर्स उम्मीदवार को माउंटेनियरिंग और अलाइड स्पोर्ट्स के लिए एक इंस्ट्रक्टर बनने के लिए तैयार करता है।

माउंटेनियरिंग के किसी प्रतिष्ठित संस्थान से माउंटेनियरिंग का कोर्स करने के लिए एडमिशन से पहले उम्मीदवार को फिजिकल फिटनेस और दौड़ आदि कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। माउंटेनियरिंग में उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आप सार्वजनिक या निजी संस्थान में माउंटेनियरिंग से जुड़ा कार्य कर सकते हैं। बहुत से संस्थान हैं जो प्रतिभाशाली एवं साहसी युवाओं को उचित प्रशिक्षण देकर उन्हें कार्मिक रूप में अच्छे वेतन पर नियुक्त करते हैं। इसके अलावा प्रशिक्षण के उपरांत माउंटेनियरिंग क्लब में भी नियुक्त हुआ जा सकता है। चाहें तो आप स्वयं का स्वरोजगार भी प्रारंभ कर सकते हैं। स्वरोजगार के क्षेत्र में तो संभावनाओं की कोई कमी नहीं है।

माउंटेनियरिंग के क्षेत्र से जुड़े कुछ अन्य रोजगार इस प्रकार हैं-

 

·                    क्लाइंबिंग गाइड- क्लाइंबिंग गाइड पर्वतारोहियों को पहाड़ों की सटीक जानकारी देते हैं। इसके लिए उनके पास मौसम की स्थिति और पहाड़ों के विभिन्न रास्तों के बारे में पता होता है ताकि लैंडस्लाइड या तापमान परिवर्तन की स्थितियों में पर्वतारोहियों को चेतावनी जारी कर सकें तथा पर्वतारोहियों का जीवन सुरक्षित कर सकें।

·                    ट्रेक ऑर्गेनाइजर - ट्रेक ऑर्गेनाइजर ट्रेकिंग की पूरी व्यवस्था देखता है। इसके लिए ट्रेक ऑर्गेनाइजर अपनी ट्रेक कंपनीज को वेबसाइट्स, यूट्यूब से प्रसारित कर उनसे अपने क्षेत्र के लोगों को ट्रेकिंग के लिए आमंत्रित करता है तथा उन्हें पूरा ट्रेकिंग का पूरा प्लान बनाकर देता है तथा उसे एग्जीक्यूट भी करवाता है।

·                    ट्रेक लीडर- ट्रेक लीडर एक ट्रेकिंग ग्रुप को लीड करता है। इस कार्य के लिए माउंटेनियरिंग स्किल्स के साथ अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स का होना आवश्यक है।

·                    लाइजन ऑफिसर - ये पहाड़ों के निकटवर्ती गाँवों के मुखियाओं तथा सरपंच से संपर्क कर उनसे पर्वतारोहियों के लिए जरूरी सहायता उपलब्ध करवाते हैं। इस पद के लिए सरकारी स्तर पर भर्ती की जाती है।

माउंटेनियरिंग का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट्स इस प्रकार हैं-

 

अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स मनाली, हिमाचल प्रदेश। इंडियन स्कीइंग एंड माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, गुलमर्ग। माउंटेनियरिंग निदेशालय, हिमाचल प्रदेश, मनाली। नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी, उत्तराखंड। जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स पहलगाम, जम्मू व कश्मीर। एनआईएमएएस दिरांग, अरुणाचल प्रदेश। हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल। असम माउंटेनियरिंग संगठन, गुवाहाटी, असम। सोनल निगात्यो माउंटेनियरिंग संस्थान, लद्दाखी मैन्शन, गंगटोक, सिक्किम। राज्य माउंटेनियरिंग संस्थान, माउंटआबू। माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर इंस्टीट्यूट ऑफ राजस्थान, जयपुर।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)

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