सड़क हादसे के घायलों को 1.5 लाख तक 7 दिन का कैशलेस इलाज
सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले लोगों और उनके परिवारों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी राहत की घोषणा की है। 6 मई को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर देशभर में सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए 1.5 लाख रुपये तक के कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम की शुरुआत की है।
सड़क परिवहन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, यदि कोई दुर्घटना मोटर वाहन के कारण होती है, तो उसमें घायल व्यक्ति को इस योजना के तहत इलाज मिलेगा, चाहे हादसा देश की किसी भी सड़क पर क्यों न हुआ हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस राशि को बढ़ाकर ₹2 लाख किए जाने की योजना भी विचाराधीन है। किसी भी सड़क हादसे के बाद का पहला घंटा 'गोल्डन ऑवर' कहलाता है और इसी दौरान इलाज न मिलने से कई मौतें होती हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए ही यह योजना लागू की जा रही है।
अगर इलाज पर डेढ़ लाख रुपये से अधिक खर्च आता है, तो अतिरिक्त राशि का भुगतान मरीज या उसके परिजन को करना होगा। प्राथमिक उपचार के बाद अगर मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर किया जाता है, तो संबंधित अस्पताल को यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीज को वहाँ दाखिला मिले।
इस योजना के तहत कैशलेस इलाज के बाद भुगतान की प्रक्रिया में नोडल एजेंसी के रूप में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) कार्य करेगी। यानी इलाज के बाद मरीज या उनके परिवार को 1.5 लाख रुपये तक का खर्च वहन नहीं करना पड़ेगा।
जनवरी 2024 में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों में हो रही मौतों को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए तत्काल कैशलेस इलाज की योजना पर काम कर रही है।
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), राज्य पुलिस, अस्पतालों और राज्य की स्वास्थ्य एजेंसी के साथ मिलकर कार्य करेगा।
भारत में समय पर इलाज न मिलने के कारण मरने वालों की संख्या काफी अधिक है। 2023 में करीब 1.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई, जबकि 2024 के जनवरी से अक्टूबर के बीच यह संख्या 1.2 लाख रही। अनुमान है कि 30-40% लोगों की मौत समय पर इलाज न मिलने के कारण होती है।
सड़क हादसे के घायलों के इलाज पर आमतौर पर ₹50,000 से ₹2 लाख तक खर्च आता है और गंभीर मामलों में यह खर्च ₹5-10 लाख तक पहुंच जाता है। इस योजना के तहत हर साल सरकार पर लगभग ₹10,000 करोड़ का वित्तीय बोझ आने का अनुमान है।