भारत का राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के लक्ष्य के 85.8 प्रतिशत पर पहुँचा


भारत का राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के लक्ष्य के 85.8 प्रतिशत पर पहुँचा - 28 मार्च 2025

28 मार्च को भारत का राजकोषीय घाटा फरवरी, 2025 के अंत तक समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 85.8 प्रतिशत हो गया। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) ने यह आंकड़े शुक्रवार को जारी किए।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 से लेकर फरवरी 2025 तक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा ₹13,46,852 करोड़ रहा। राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है।

एक साल पहले की समान अवधि में यह घाटा वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान (आरई) का 86.5 प्रतिशत था।

सरकारी राजस्व और व्यय

आंकड़ों से यह भी पता चला है कि सरकार का कर राजस्व (शुद्ध) ₹20 लाख करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान का 78.8 प्रतिशत था। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 79.6 प्रतिशत था।

सरकारी राजस्व-व्यय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में कुल व्यय ₹38.93 लाख करोड़ था, जो संशोधित अनुमान का 82.5 प्रतिशत था। एक साल पहले की अवधि में यह 83.4 प्रतिशत था।

राजकोषीय घाटा और जीडीपी अनुमान

केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 प्रतिशत और 2025-26 के लिए 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। मौजूदा कीमतों के आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा ₹15.69 लाख करोड़ रहने का अनुमान है।

ब्याज भुगतान और सब्सिडी

कुल राजस्व व्यय में से ₹9.52 लाख करोड़ ब्याज भुगतान पर और ₹3.63 लाख करोड़ प्रमुख सब्सिडी मद में खर्च किए गए।

राज्य सरकारों को हस्तांतरित राशि

सीजीए ने कहा कि फरवरी 2025 तक सरकार ने राज्य सरकारों को ₹11.80 लाख करोड़ कर के रूप में हस्तांतरित किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹1.47 लाख करोड़ अधिक है।




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