अब मध्यप्रदेश में होगा भू-संसाधन प्रबंधन आयुक्त, तेजी से निपटेंगे राजस्व प्रकरण
2 जून को पचमढ़ी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। अब तहसील कार्यालयों में राजस्व न्यायालय और कानून व्यवस्था के लिए अलग-अलग अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। इस व्यवस्था को लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
राजस्व और प्रशासनिक कार्यों का होगा अलग विभाजन
अब नायब तहसीलदार और तहसीलदारों को उनके कार्यों के अनुसार दो भागों में बांटा जाएगा। एक अधिकारी प्रोटोकॉल, कानून-व्यवस्था जैसी प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभालेंगे जबकि अन्य अधिकारी राजस्व न्यायालयों में प्रकरणों की सुनवाई पर ध्यान देंगे।
इस बदलाव का उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को तेज करना, राजस्व मामलों की संख्या कम करना और तकनीकी माध्यम से पारदर्शी सेवा प्रदान करना है।
भू-अभिलेख और प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालयों का पुनर्गठन
कैबिनेट ने भू-अभिलेख आयुक्त और प्रमुख राजस्व आयुक्त के पदों को मिलाकर “भू-संसाधन एवं प्रबंधन आयुक्त” (Commissioner, Land Resource and Management) नामक नया पद सृजित किया है। इस पद के अंतर्गत एक मुख्यालय और एक सहायक मुख्यालय होगा।
500 पद समाप्त, 1200 नए पद सृजित
नई व्यवस्था के तहत विभाग के 500 पदों को समाप्त कर 1200 नए पद सृजित किए जाएंगे। इन पदों पर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के जानकारों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि सेवाएं तकनीक आधारित और पारदर्शी बनें।
औद्योगिक हड़ताल से पहले सूचना अनिवार्य
बैठक में श्रम कानूनों में संशोधन को भी मंजूरी दी गई। ठेका श्रमिक सीमा 20 से बढ़ाकर 50 की गई और कारखाना अधिनियम में श्रमिक संख्या की सीमा में भी वृद्धि की गई। अब प्रदेश में औद्योगिक प्रतिष्ठानों को हड़ताल से पहले सूचना देना अनिवार्य होगा।
इंदौर में बनेगा एग्रीटेक हब
इंदौर में एग्रीटेक/इनोवेशन हब की स्थापना को मंजूरी दी गई। यह परियोजना IIT इंदौर और अन्य संस्थानों के सहयोग से चलाई जाएगी। लगभग ₹15 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना आधुनिक कृषि तकनीकों, स्टार्टअप्स, और किसानों के लिए लाभकारी नवाचारों पर केंद्रित होगी। इसमें ड्रोन आधारित इमेजिंग, बीज परीक्षण, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग होगा।
जनजातीय मंत्री फिर रहे अनुपस्थित
जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह लगातार तीसरी कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित रहे। कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए बयान को लेकर चल रही जांच के बीच उनकी गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है।