उम्र में उलझी पढ़ाई, विद्यार्थियों का नौंवी में प्रवेश अटका
प्रदेश के 500 से अधिक विद्यार्थियों की आगे की पढ़ाई उम्र में उलझ गई है। ये वे विद्यार्थी हैं जिन्होंने 13 वर्ष की उम्र से पहले आठवीं कक्षा पास कर ली है। अब नौंवी कक्षा में उनका नामांकन नहीं हो पा रहा है। कारण, नई शिक्षा नीति है जिसके आधार पर बनी प्रवेश नीति ने नौंवी में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 13 वर्ष निर्धारित की है।
यह समस्या उत्कृष्ट विद्यालयों में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा के परिणामों के बाद सामने आई है। पता चला है कि इनमें से बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्होंने प्रवेश परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन उनकी उम्र 13 वर्ष से कम है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 11 जून को जो प्रवेश नीति जारी की थी उसमें नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम और अधिकतम उम्र का निर्धारण किया गया था। इस नीति के हिसाब से 13 वर्ष से कम आयु वालों को नौंवी में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। अब मामला यहीं फंस गया है।
ऐसे विद्यार्थी राष्ट्रीय मिंस पात्रता परीक्षा पास कर भी छात्रवृत्ति पाने की पात्रता भी खो देंगे। ऐसे अधिकतर विद्यार्थी ग्वालियर, झाबुआ, मुरैना, नीमच, राजगढ़, रतलाम, सतना, शहडोल जिलों के हैं। अब इन स्कूलों के प्राचार्यों ने माशिमं में आवेदन देकर उम्र बंधन में छूट देने की मांग की है।
नई नीति आने से पहले शुरू की पढ़ाई
स्कूल शिक्षा विभाग ने नई नीति के तहत प्रवेश के लिए आयु सीमा का निर्धारण 2024-25 सत्र से किया गया। अभी जो विद्यार्थी आठवीं पास करके आए हैं उनका पहली कक्षा में दाखिला 2013 में हुआ होगा। तब तक यह नियम लागू नहीं थे। अब वे निरंतर पढ़ाई करते हुए 12 वर्ष की उम्र में आठवीं पास कर गए हैं।
30 सितंबर तक होंगे नामांकन
प्रवेश नीति के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2025-26 में नौंवी कक्षा का ऑनलाइन नामांकन 30 सितंबर तक सामान्य शुल्क ₹350 के साथ किया जा सकेगा। वहीं 10वीं व 12वीं की परीक्षा के लिए आवेदन भी 30 सितंबर तक ₹1200 सामान्य शुल्क के साथ जमा करने होंगे।
निष्कर्ष
नई शिक्षा नीति के चलते कई होनहार विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। जिन्होंने समय से पहले कक्षाएं पूरी कर ली हैं, वे अब आयु सीमा के कारण पिछड़ सकते हैं। शिक्षा विभाग पर अब दबाव है कि वह इन मामलों में समाधान निकाले और योग्य विद्यार्थियों को आयु में छूट प्रदान करे।