वर्तमान समय में किसी भी संस्थान के लिए आर्काइविस्ट काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अतीत में हुई सभी घटनाओं का लेखा-जोखा रखता है । आर्काइव्स में पुरानी हाथ से लिखी गई मैन्युस्क्रिप्ट, लैटर्स, पेपर्स, मैप्स, ड्राइंग्स और हाल के माइक्रोफिल्म्ड मैटिरियल आते हैं । टेप रिकॉर्डिंग्स और कम्प्यूटर डिस्क भी आर्काइव्स की लिस्ट में तेजी से जगह पाती जा रही है । एक आर्काइविस्ट का काम इन लेखों और डॉक्यूमेंट्स की मेंटेनेंस और केयर करना है । आर्काइविस्ट इस बात को सुनिश्चित करता है कि सभी रिकॉर्ड और डॉक्यूमेंट्स को पूरी तरह संजोकर रखा जाए । आर्काइविस्ट का काम रिसर्च के साथ-साथ दस्तावेज का सही तरीके से अरेंजमेंट करना और वक्त पड़ने पर उसका प्रयोग करना है । उसे सभी रिकॉर्ड्स को भविष्य में रेफरेंस के लिए रखना होता है । इस क्षेत्र में रोजगार की काफी संभावनाएँ हैं । आर्काइविस्ट लाइब्रेरीज, म्यूजियम्स, हिस्टॉरिकल सोसायटीज और विभिन्न संस्थानों के आर्काइवल यूनिट्स में काम करते हैं । नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया इस क्षेत्र में एशिया का जाना पहचाना संस्थान है । देश में इसके चार रिपॉजिटरी हैं, जो भोपाल, पांडिचेरी, भुवनेश्वर और जयपुर में स्थित हैं । जहाँ तक कॅरियर की बात है, तो ऐसी कई कंपनियाँ हैं, जो अपने यहाँ आर्काइव्स डिपार्टमेंट मेंटेन करती हैं । टाटा और डीसीएम जैसी कंपनियों ने हाल ही में अपने यहाँ इस तरह के डिपार्टमेंट स्थापित किए हैं । इसके अलावा कई मल्टीनेशनल कंपनियों में भी रोजगार की बेहतर संभावनाएँ बन सकती हैं । इससे संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम नई दिल्ली स्थित स्कूल ऑफ आर्काइवल स्टडीज में उपलब्ध हैं ।