आर्कियोलॉजी अर्थात पुरातत्व विज्ञान में प्राचीन मानव संस्कृति एवं सभ्यता को खंगाला जाता है। आर्कियोलॉजी ऐतिहासिक खोज की वह शाखा है जो विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक है। इसमें प्राचीन अवशेषों से सामना होता है। मसलन प्राचीन सिक्के, बर्तन, चमड़े की किताबें, भोजपत्र पर लिखित पुस्तकें, शिलालेख, मिट्टी के नीचे दफन शहरों के खंडहर या फिर पुराने किले, मंदिर, मस्जिद और हर प्रकार के प्राचीन अवशेष, वस्तुओं आदि का अध्ययन आर्कियोलॉजी के अंतर्गत किया जाता है। ऑर्कियोलॉजी का कोर्स करने के उपरांत आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अलावा देश-विदेश में ऐसे बहुत से प्रतिष्ठित पुरातत्व संबंधी संस्थान हैं जहाँ निदेशक, शोधकर्ता, सर्वेक्षक, आर्कियोलॉजिस्ट, असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट आदि पदों पर रोजगार उपलब्ध है। म्यूजियमों, आर्ट गैलरियों, विदेश मंत्रालय के हिस्टोरिकल डिवीजन, शिक्षा मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, विश्वविद्यालयों आदि में भी रोजगार के अच्छे अवसर मिलते हैं। आर्कियोलॉजी में डिग्री लेने के बाद शोध संस्थानों, ट्रेवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री आदि जगह भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। अगर आप इतिहास को खंगालने के शौकीन हैं और इसके जरिए कई तरह की नई चीजों का पता लगाना चाहते हैं तो आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आपके लिए करियर की बहुत उजली संभावनाएँ हैं। ऑर्कियोलॉजिस्ट बनने के लिए आपको तीन वर्षीय बीए इन ऑर्कियोलॉजी डिग्री करना होगी, जिसके लिए 12वीं स्तर पर एक विषय के रूप में इतिहास की पढ़ाई आवश्यक है। किसी प्रतिष्ठित संस्थान से ऑर्कियोलॉजी का स्नातक कोर्स करने हेतु प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होती है। यदि आगे आप एमए इन ऑर्कियोलॉजी करना चाहते हैं तो इसकी न्यूनतम योग्यता बीए इन ऑर्कियोलॉजी या समकक्ष है। इस क्षेत्र में जाने के लिए कम्युनिकेशन स्किल और आईटी स्किल की भी बहुत जरूरत है। स्कूल ऑफ आर्काइवल स्टडीज, नई दिल्ली, सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, नई दिल्ली, डिपार्टमेंट ऑफ आर्कियोलॉजी डेक्कन कॉलेज, पुणे सहित देश के प्रमुख संस्थानों से आर्कियोलॉजी का कोर्स किया जाना करियर की दृष्टि से उपयुक्त रहेगा।