किसी भी देश में वहाँ के निवासियों की जान-माल की सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाता है। इस सुरक्षा व्यवस्था को नित्य नए तरीकों से बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों द्वारा जी तोड मेहनत की जाती है। जिन्हें सामान्य रूप से सेफ्टी मैनेजर, फायर प्रोटेक्शन इंजीनियर, रिस्क मैनेजमेंट कंसल्टेंट जैसे व्यक्तियों द्वारा अंजाम दिया जाता है। इन सभी पदों पर कार्य करने के लिए एक विशेष कोर्स की दरकार होती है, जिसे इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट कहा जाता है। पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों को उन सभी बारीकियों से अवगत करा दिया जाता है, जिससे वे हर खतरे का दृढ़तापूर्वक सामना कर सकें। सुरक्षा के लिहाज से तैयार किए गए इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए इच्छुक छात्र को कम से कम बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है, जबकि ग्रेजुएट एवं इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले छात्रों को वरीयता दी जाती है। इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट में कई तरह के डिप्लोमा, सर्टिफिकेट एवं अन्य डिग्री पाठ्यक्रम मौजूद हैं। इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट का सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम करने के पश्चात भारत में फायर प्रोटेक्शन इंजीनियर, एनवायरमेंट सेफ्टी मैनेजर, इंडस्ट्रियल हाइजीन मैनेजर, सिस्टम सेफ्टी इंजीनियर, रिस्क मैनेजमेंट कंसल्टेंट, कंस्ट्रक्शन सेफ्टी इंजीनियर, ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी सुपरवाइजर के रूप में अवसर मिलते हैं। इसके अलावा सेल, टिस्को, कोल इंडिया लिमिटेड, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, एनटीपीसी एवं इंडियन ऑयल जैसी कंपनियाँ डिप्लोमा अथवा डिग्रीधारक युवाओं को अपने यहाँ नियुक्त करती हैं। इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान हैं- नेशनल सेफ्टी काउंसिल ऑफ इंडिया, 98 ए, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर 15, नवी मुंबई-141 दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, सेक्टर 7, द्वारका, नई दिल्ली-45।