खेती की प्रचुरता और गुणवत्ता मानसून, बीज, खाद, मौसम, टेक्नोलॉजी और किसान की खेती की तकनीक पर निर्भर करती है। इनमें से एक भी पक्ष कमजोर होने पर फसल बर्बाद हो सकती है। आज एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी इन सभी पहलुओं को मजबूत रखने में मदद करती है। इसके अलावा फसल का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए, इसके तहत इसका भी पूरा ख्याल रखा जाता है। चूँकि भारत की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है इसलिए एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी आज एक अच्छे कॅरियर विकल्प के रूप में देखी जा रही है। एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी का मुख्य कार्य कृषि के क्षेत्र में शोध करना है। इसके तहत फसलों के उत्पादन आदि पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारक जलवायु, मौसम, फसलों में लगने वाली बीमारी और तापमान आदि के बारे में किसानों को जरूरी जानकारी दी जाती है। एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी का कोर्स करने के लिए 12वीं की परीक्षा साइंस बायोलॉजी या कृषि विषयों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी का कोर्स करने के बाद रोजगार के काफी उजले अवसर मौजूद हैं। एग्रीकल्चर मैटीरियोलॉजी का कोर्स इन संस्थानों में उपलब्ध है- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर(म.प्र.)। इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)। सीसीएस हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार (हरियाणा)। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना (पंजाब)। गोविंदबल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर (उत्तराखंड)।