औजारों की डिजाइनिंग (टूल डिजाइनिंग) क्या है ? टूल डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर के क्या अवसर हैं ?

विभिन्न प्रकार के औजारों को आवश्यकतानुसार डिजाइन करना टूल डिजाइनिंग कहलाता है। विनिर्माण उद्योग में टूल डिजाइनिंग का विशेष महत्व है। या यूँ कहें कि टूलिंग उत्पाद डिजाइन विनिर्माण उद्योग की बुनियाद है। बिना इसके सहयोग के विनिर्माण उद्योग आगे नहीं बढ़ सकता। बेरोजगारी के वर्तमान दौर में जहाँ उच्च प्रशिक्षितों के लिए भी नौकरी की भारी मारामारी है वहीं टूल डिजाइनिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ प्रशिक्षण के उपरांत नौकरी की बेहतरीन संभावनाएँ हैं। टूल डिजाइनिंग के पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री, डिप्लोमा अथवा आईटीआई के साथ संगत क्षेत्र में अनुभव होना आवश्यक है। टूल डिजाइनिंग के क्षेत्र में ढेरों पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। जैसे सीएनसी मशीनिंग के छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स में किसी भी ट्रेड में आईटीआई उत्तीर्ण उम्मीदवार दाखिला ले सकते हैं। जबकि टूल एवं डाई निर्माण के चार वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिले के लिए गणित विषय सहित दसवीं कक्षा न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। गौरतलब है कि यह रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम इंदौर, कोलकाता और जमशेदपुर में चल रहे इंडो-जर्मन टूल रूम में उपलब्ध है। इसके अलावा कैम/कैड तथा टूल डिजाइनिंग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, कम्प्यूटर एडिट टूल डिजाइन के पोस्ट डिप्लोमा पाठ्यक्रम, टूल एवं डाई अथवा प्लास्टिक प्रोग्राम इन कम्यूटेशनल इंजीनियरी, पीजी डिप्लोमा इन एम्बेडेड सिस्टम डिजाइन आदि भी उपलब्ध हैं। इन सभी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए वैद्युत/इलेक्ट्रॉनिकी/कम्प्यूटर इंजीनियरी में डिप्लोमा अथवा बीटेक डिग्री होनी आवश्यक है। टूल रूम डिजाइन पाठ्यक्रमों को पूरा करने वाले स्नातक शुरूआती तौर पर कम्प्यूटर एडेड टूल डिटेलर्स, प्रोडक्ट ड्राफ्टर्स, एक्ट्रीलेवल डिजाइनर्स, कैड ऑपरेटर्स तथा अन्य तकनीकी पदों पर नौकरी पाते हैं जबकि आईआईटी के उपरांत टूल डिजाइनिंग का सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स करने वालों को मास्टर क्राफ्टमैन आदि के पदों पर रोजगार मिलता है। जहाँ उन्हें शुरुआती तौर पर कम से कम 10 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं,जबकि स्नातकों को 20 से 30 हजार रुपए मासिक की नौकरी प्रारंभिक तौर पर मिलती है। टूल डिजाइनिंग का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- इंडो-जर्मन टूल रूम, औद्योगिक क्षेत्र, सांवेर रोड, इंदौर। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, हैदराबाद। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, कर्वे रोड, पुणे। इंडो-जर्मन टूल रूम, अहमदाबाद।

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