कमर्शियल पायलट बनने हेतु उम्मीदवार को तीन चरणों से गुजरना होता है । पहला चरण स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल) का है । इसमें चयन हाईस्कूल के उपरांत 16 वर्ष की उम्र के बाद वस्तुनिष्ठ प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है । एसपीएल की ट्रेनिंग फ्लाइंग क्लबों से प्राप्त की जा सकती है । दूसरा चरण है प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल) का । डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एवीएशन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप कम से कम 60 घंटे (अकेले 20 घंटे) का विमान उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के उपरांत इंटरमीडिएट (फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को एक परीक्षा देना होती है । तीसरा चरण है प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल) का । 250 घंटे का रात-दिन का विमान उड़ानें व उतारने का प्रशिक्षण लेने वाले को पीपीएल लाइसेंस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाता है । इस पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के उपरांत कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त हो जाता है । कोर्स की अवधि 15 माह की होती है । पूरे प्रशिक्षण में 15 तकरीबन से 20 लाख रुपए का खर्च आता है ।