मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में मस्तिष्क सबसे जटिल अंगों में गिना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव मस्तिष्क की कार्यशैली के सामने कोई भी कृत्रिम यंत्र नहीं ठहर सकता। इसलिए अब मानव मस्तिष्क को पढक़र वैज्ञानिकों ने इसके व्यवहार के आधार पर जीवन के हर कार्यक्षेत्र में मस्तिष्क विज्ञान को लागू करना शुरू कर दिया है और इस अनोखी वैज्ञानिक शैली का नाम कॉगनिटिव साइंस रखा गया है। कॉगनिटिव साइंस साइकोलॉजी, न्यूरो साइंस, फिलॉसफी, कम्प्यूटर साइंस, एंथ्रोपोलॉजी, लिंग्विस्टिक तथा फिजिक्स के मूल सिद्धांतों पर आधारित विज्ञान की एक विशेष शाखा है। कॉगनिटिव साइंस का प्रयोग मुख्यत: मानव मस्तिष्क से प्रेरित कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित उत्पादों तथा कम्प्यूटरीकृत प्रोग्रामों के लिए किया जाता है। इस क्षेत्र में एम.ए. या एम.एससी. करने के लिए छात्र को इंजीनियरिंग, साइंस या सोशल साइंस की बैचलर डिग्री न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना जरूरी है। इस विषय से विशेषता प्राप्त छात्र अध्यापन या रिसर्च को कॅरियर के रूप में अपना सकते हैं। इसके अलावा आईटी कंपनियों के रिसर्च और डेवलपमेंट विभागों में अच्छे वेतन पर नियुक्ति पाई जा सकती है। अस्पतालों में मस्तिष्क रोग से ग्रस्त मरीजों को देखने के लिए न्यूरो साइंस डिपार्टमेंट में कॉगनिटिव साइंस में विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है। विशेषज्ञों को मानव कम्प्यूटर संबंधी कार्यों में भी सम्मिलित किया जाता है, जिसके तहत वह मानव और कम्प्यूटर के बीच की दूरियों को एक भाषा के तहत दूर करते हैं। यह सूचना पर आधारित ऐसे उत्पाद बनाते हंै, जो मानव क्षमता को बढ़ाने का कार्य करते हैं जैसे एजुकेशनल सॉफ्टवेयर तथा अच्छे सूचना संबंधी यंत्र। कॉगनिटिव साइंस का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- सेंटर ऑफ बिहेवरल एंड कॉगनिटिव साइंस, यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद, इलाहाबाद-02। नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, मानेसर, गुडग़ाँव, हरियाणा-50। होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन, अणुशक्ति नगर, मुंबई। भक्तिवेदना इंस्टीट्यूट, जुहू रोड, मुंबई-49।