वर्तमान समय में अनेक विश्वविद्यालय क्लाउड और मोबाइल टेक्नोलॉजी को अपने स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में शामिल करते जा रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों को इस विकासमान क्षेत्र में रोजगार के चमकीले अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 2020 के अंत तक क्लाउड क्षेत्र में रोजगार के 20 लाख नए अवसर उपलब्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में क्लाउड क्षेत्र में माँग में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिसकी परिणति संस्थापना और रख-रखाव इंजीनियरों की भारी माँग के रूप में सामने आई है। हालांकि क्लाउड कम्प्यूटिंग की जड़ें 21वीं सदी के प्रारंभ में निहित रही हैं, फिर भी भारत ने पिछले दो दशकों के दौरान उद्योग क्षेत्र में इसकी वृद्धि देखी है। जहाँ कम्प्यूटिंग का काम कम्पनी के परिसर में प्रोडक्ट संस्थापित करने की बजाय इंटरनेट पर एक सेवा के रूप में किया जाता रहा है। अब यह आईटी इंजीनियरों के लिए अनिवार्य हो गया है कि वे क्लाउड बाजार के बदलते माहौल के प्रति अपने को ढालें। क्लाउड कम्प्यूटिंग बाजार के अविष्कार के साथ इंटरप्राइज क्लाउड आर्किटेक्ट जैसे अनेक नए पद उभरे हैं, जो आईटी ढाँचे और अप्लीकेशन्स दोनों की जानकारी रखते हैं और जो अप्लीकेशन फ्रेमवर्कों का डिजाइन और प्रबंधन कर सकते हैं। तकनीकी रोजगार परिदृश्य के अलावा, क्लाउड आधारित सोल्यूशन के विपणन और बिक्री के लिए अनेक विपणन रोजगारों की भी माँग इन दिनों बढ़ी है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट (यूटीएम), शिलांग, ने विद्यार्थियों को क्लाउड कम्प्यूटिंग और वर्चुअलाइजेशन में विशेषज्ञता के साथ कम्प्यूटर विज्ञान में बी.टेक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया है। पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय, देहरादून में क्लाउड कम्प्यूटिंग पाठ्यक्रम उपलब्ध है। कई अन्य विश्वविद्यालय भी क्लाउड कम्प्यूटिंग में बी.टेक पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं, इनमें अजीन्क्य डी.वाय. पाटिल यूनिवर्सिटी, पुणे। गलगोटियाज यूनिवर्सिटी, नोएडा, एपीजे यूनिवर्सिटी, गुडगांव, एनआईटी, त्रिची, पूर्णिमा विश्वविद्यालय, जयपुर आदि शामिल हैं।