आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के कारण आज व्यावहारिक क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का भी भारी विकास हुआ है। इसी विकास के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन हुआ है। जीपीएस, जीआईएस तकनीक सूचना प्रौद्योगिकी के ऐसे ही विभिन्न आयामों में से एक है, जो अपनी विशिष्टïता एवं अत्याधुनिक कार्यप्रणाली के लिए विख्यात है। आमतौर पर इस आधुनिक तकनीक को जियो इंफॉर्मेटिक्स के नाम से भी जाना जाता है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो जियो इंफॉर्मेटिक्स के अंतर्गत ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) तथा जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आते है, जो कम्प्यूटर आधारित उपग्रहीय संचार व्यवस्था है। इसकी मदद से किसी वाहन, व्यक्ति या वस्तु की सही-सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह कार्य उपग्रह की मदद से किया जाता है जिसके तहत कम्प्यूटर के जरिए हम दूर बैठे सारी स्थिति का पता लगा सकते हैं। जियो इंफॉर्मेटिक्स की जरूरत विभिन्न क्षेत्रों में महसूस की जाने लगी है, इनमें कृषि, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन, वानिकी, स्वास्थ्य, दूर सूचना पद्धति, खनन, ग्रामीण विकास, दूरसंचार, परिवहन, नगर नियोजन, जल संसाधन प्रबंधन आदि के नाम प्रमुख हैं। जियो इंफॉर्मेटिक्स में जो मुख्य कार्य है वह है डाटा बेस तैयार करना। जिसके लिए पेपर मैप को डिजिटल रूप देने के लिए बहुत से प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ती है। इसके लिए कम्प्यूटर एडेड डिजाइन कैड तकनीक की जानकारी अपेक्षित है। इसमें उपग्रह द्वारा प्रेषित सूचनाओं का डाटा तैयार करने के बाद उनका विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद एक पूरा मैप तैयार किया जाता है। इस तरह इस तकनीक में डाटा प्रोसेसिंग, प्रोग्रामिंग तथा डाटा एनालिसिस विशिष्टï रोजगारपरक क्षेत्र है। इस कार्य के लिए इसरो भी कनिष्ठï तथा वरीय शोध फेलोशिप प्रदान करता है। अन्य सरकारी संस्थाओं जैसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग तथा सेंटर ऑफ स्पेशल टेक्नोलॉजी में भी रोजगार की व्यापक संभावनाएँ हैं। जियो इंफॉर्मेटिक्स का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- आईआईटी, दिल्ली, मुंबई, कानपुर, रूडक़ी। जीआईएस इंस्टीट्यूट, नोएडा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली।