प्लास्टिक व पॉलीथिन के प्रयोग ने पैकेजिंग व पैकिंग उद्योग को एक नई दिशा दी, लेकिन इसकी रिसाइकलिंग होने के बावजूद यह पूर्णत: नष्ट नहीं होता। इसी वजह से पर्यावरण संरक्षण हेतु भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसी स्थिति में एकमात्र विकल्प जूट ही बचता है। भारत सरकार भी जूट से बने उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। दरअसल जूट अब केवल बोरे या रस्सियाँ बनाने तक ही सीमित नहीं है । जूट अब एक खास कॅरियर के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत सरकार द्वारा जूट को नए रूपों में ढालने के लिए अनुसंधान संबंधी कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। विदेशों में जूट से बने भारतीय उत्पादों की भारी माँग है। जूट उत्पादों के विकास में सरकारी पहल ने एक नई दिशा प्रदान की है। जूट उत्पादन को लघु उद्योग के रूप में स्थापित करने हेतु प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जूट मिलों में लोग डिजाइनर, मार्केटिंग, फॉरेन ट्रेड, एक्सपोर्ट के क्षेत्र में खूब काम कर रहे हैं। जूट तकनीक में प्रशिक्षण लेने के बाद वैज्ञानिक, शोधकर्ता, रिसर्च ऑफिसर, क्वालिटी कंट्रोलर आदि पदों पर कार्य किया जा सकता है। जूट टेक्नोलॉजी के ज्यादातर पाठ्यक्रम स्नातक के उपरांत किए जा सकते हैं। जूट टेक्नोलॉजी से संबंधित कोर्स इन संस्थानों में उपलब्ध हैं- जूट एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैरकपुर नार्थ, 24 परगना-01। वेबसाइट- www.crijat.org द नेशनल सेंटर फॉर जूट डाइवर्सिफिकेशन, नई दिल्ली। वेबसाइट- www.juteworld.com द नार्दन इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश। वेबसाइट- www.nitratextile.org इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। वेबसाइट- www.ignou.ac.in