हम प्रतिदिन जो दाल, गेहूँ, चावल, फल और सब्जियाँ भोजन के रूप में खाते हैं इन्हें रासायनिक खाद या कीटनाशकों की मदद से उत्पादित किया जाता है लेकिन रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से उगाए गए अनाज और फल-सब्जियों में कई किस्म के जहरीले पदार्थ मिल जाते हैं । ये जहरीले पदार्थ विभिन्न बीमारियों के कारण बनते हैं । दूसरी तरफ ऑर्गेनिक फूड यानी जैविक खाद्य पदार्थों को उगाने के लिए किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद या कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता, जैविक खेती प्राकृतिक तरीकों से की जाती है । इससे उत्पादित फल, सब्जी और अनाज कीटनाशक मुक्त होते हैं और काफी पौष्टिक होते हैं । स्वास्थ्य के प्रति दिनों-दिन बढ़ती जागरूकता के चलते महानगरों के लोग अब जैविक खाद्य (आर्गेनिक फूड) यानी कीटनाशकों की मदद के बगैर प्राकृतिक तौर पर उगाए अन्न, फल व सब्जियों की माँग करने लगे हैं इसलिए हमारे देश में भी पिछले कुछ वर्षों में जैविक खेती में काफी उन्नति हुई है । हमेशा कुछ अलग करने की चाह रखने वालों के लिए जैविक खेती एक अच्छा विकल्प है । बिना प्रशिक्षण के इस खेती को करना कठिन है । इस खेती के साथ कई ऐसे व्यवसाय जुड़े हैं जिसमें हमारे देश के हजारों लोग लगे हैं जैसे- ऑर्गेनिक फूड बेचने की दुकान, ऑर्गेनिक फूड रेस्तरां, ऑर्गेनिक फूड्स के टिफिन सप्लाई करना और जैविक खेती के बारे में दूसरों को प्रशिक्षित करना आदि । जैविक खेती के लिए खास प्रशिक्षण की जरूरत होती है मसलन मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए उसमें कौनसी फसल उगानी है, उसका चयन किया जाता है । मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए खेतों की प्राकृतिक तरीकों से कई बार सिंचाई की जाती है । आप खुद की जमीन पर उत्पादन कर या ऑर्गेनिक फूड्स की दुकान या रेस्तरां खोल कर बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं । जैविक खेती की ट्रेनिंग नवदान्या बीज विद्यापीठ, देहरादून तथा विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में दी जाती है ।