इस समय स्वरोजगार के क्षेत्र में टायर रिमोल्डिंग यूनिट का महत्व बढ़ गया है। टायर रिमोल्डिंग प्रक्रिया दो तरह की होती है एक गर्म रिमोल्डिंग तथा दूसरी ठंडी रिमोल्डिंग। गर्म रिमोल्डिंग प्रोसेस में टायर पर कच्ची रबर चढ़ाकर मोल्ड मशीन में डालते हैं और फिर इस कच्ची रबर को गर्मी देकर पकाते हैं जबकि ठंडी रिमोल्डिंग प्रोसेस में कच्ची रबर को पहले से ही पका लिया जाता है । इस पकी हुई रबर के बेल्ट को टायर पर चढ़ाकर बोंडिंग करते हैं अर्थात् चिपकाते हैं एवं गर्म ताप पर मशीन में रखते हैं । इस गर्मी से टायर के मूल ढाँचे की क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रकार इन दोनों विधियों में ठंडी रिट्रीड (रिमोल्डिंग) विधि ज्यादा बेहतर होती है क्योंकि गर्म रिट्रीड में कच्ची रबर को टायर पर चढ़ाकर पकाने पर यदि गर्मी अधिक हो जाए तो टायर का केसिंग खराब हो सकता है, फलत: माइलेज कम मिलता है, लेकिन ठंडी रिट्रीड में रबर को अलग हाई हाइड्रोलिक प्रेशर देकर पकाया जाता है जिससे रबर का घनत्व ज्यादा होता है फलस्वरूप माइलेज अधिक प्राप्त होता है। ठंडी विधि पर आधारित टायर रिट्रीडिंग की इकाई स्थापना हेतु अनेक कंपनियाँ फ्रेंचाइजी भी प्रदान करती हैं। कई कंपनियाँ रिट्रीडिंग हेतु कच्चा माल, मशीनरी व प्रशिक्षण भी प्रदान करती हैं । टायर रिट्रीडिंग प्लांट की स्थापना लागत उपयुक्तता के अनुरूप की जानी चाहिए। इस इकाई को शुरू करने से पहले उद्योग विभाग या उद्यमिता विकास केंद्र से विस्तृत जानकारी ली जानी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण प्राप्त करने संबंधी जानकारी भी प्राप्त की जानी चाहिए ।