शूट की गई पिक्चर्स को कम्प्यूटर की सहायता से एडिट करना ही नॉन लीनियर एडिटिंग कहलाती है। वास्तव में जब भी कोई कार्यक्रम बनाया जाता है, तो उस विषय से संबंधित वीडियोज को बड़ी भारी संख्या में शूट कर लिया जाता है। शूटिंग पूरी होने के बाद प्रोग्राम या फिल्म की माँग के अनुसार वीडियो क्लिप को एडिट करके एक क्रम में टाइम फ्रेम पर रखा जाता है। सीन की डिमांड के अनुसार विजुअल्स के साथ साउंड और म्यूजिक को मिक्स किया जाता है। इस प्रकार एक कार्यक्रम या फिल्म तैयार की जाती है। कम्प्यूटर तकनीक के द्वारा की जाने वाली नॉन लीनियर एडिटिंग के जरिए आज एडिटिंग का काम काफी सरल और सहज हो गया है। कार्यक्रम को अच्छे से अच्छा प्रस्तुत करना नॉन लीनियर एडिटर की कुशलता और रचनात्मकता पर निर्भर करता है। एक नॉन लीनियर एडिटर को ग्राफिक डिजाइनिंग, साउंड और म्यूजिक का ज्ञान होना भी बहुत जरूरी है। नॉन लीनियर एडिटिंग में कुशलता हासिल करने के बाद किसी भी व्यक्ति के लिए विभिन्न टीवी चैनल और प्रोडक्शन हाउस के दरवाजे खुल जाते हैं। इसके अलावा फ्रीलांसर के तौर पर भी काम किया जा सकता है। इस क्षेत्र में जितनी गति और कुशलता से काम किया जाएगा उतनी ही माँग और कीमत बढ़ती जाती है। नॉन लीनियर एडिटिंग पाठ्यक्रम में एडमिशन लेने के लिए छात्र को कम से कम बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। कम्प्यूटर की बेसिक नॉलेज रखने वालों के लिए यह कोर्स करने में आसानी होती है। साथ ही इंग्लिश की बेसिक जानकारी होना भी आवश्यक है। यदि आपमें रचनात्मकता एवं ध्वनि की समझ है तो यह गुण लीनियर एडिटिंग के क्षेत्र में आपको बहुत ऊँचाई तक ले जाएँगे। लीनियर एडिटिंग का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, लॉ कॉलेज रोड, पुणे। सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, ई.एम. बायपास रोड, पंचसायर, कोलकाता। एडिट वक्र्स स्कूल, 56/12, सेक्टर 62, नोएडा।