वर्गीकरण विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो जैविकीय मूल की वस्तुओं के निर्धारण, नामावली तथा वर्गीकरण से संबंधित है। पादप वर्गीकरण विज्ञान, (प्लांट क्लासीफिकेशन साइंस) वनस्पति विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो पादपों के वर्गीकरण से संबंधित है। पादप वर्गीकरण विज्ञान को कभी-कभी प्रणालीबद्ध वनस्पति विज्ञान भी कहा जाता है। ध्यातव्य है कि थियोफे्रस्टस पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पौधों का वैज्ञानिक ढंग से वर्गीकरण किया था। उन्होंने पौधों का वृक्षों, झाडिय़ों, छोटी झाडियों तथा जड़ी-बूटियों में वर्गीकरण किया था। आगे चलकर कैरोलस लीनियस ने वर्गीकरण विज्ञान की आधुनिक संकल्पना की आधारशिला रखी। गौरतलब है कि पौधों पर कोई भी रिसर्च वर्क प्रारंभ करने से पहले एक वर्गीकरण विज्ञानी द्वारा उसका निर्धारण तथा प्रमाणन किया जाना होता है इसलिए पादप विज्ञान के सभी अनुप्रयुक्त विषयों जैसे कृषि, वानिकी, जैव प्रौद्योगिकी, बागवानी जैसे अन्य विषयों का आधार वर्गीकरण विज्ञान ही है। इस तरह पादप वर्गीकरण विज्ञान पादप विज्ञान की जननी माना जाता है। हमारा भारत देश जैव वैविध्य रूप से संपन्न देशों में शुमार किया जाता है। मौजूदा वर्गीकरण विज्ञानियों की विशेषज्ञता भारत के पौधों के समूहों की जैव विविधता के मूल्यांकन के लिए अपर्याप्त है। इसके अलावा राष्ट्र के व्यापक आर्थिक विकास, संरक्षण के प्रभावी उपाय ढूँढने एवं हमारे देश के जैव संसाधनों के धारणीय उपयोग के लिए तथा हमारे देश की पादप संपदा पर विभिन्न अनुसंधान तथा अध्यापन संस्थाओं को परामर्शी सेवाएँ प्रदान करने की नीति तथा योजना बनाने के अनूठे विचार प्रदान करने में वर्गीकरण विज्ञान की अनिवार्य आवश्यकता है। भारत में ऐसी कई अनुसंधान तथा अध्यापन संस्थाएँ हैं जो पादप वर्गीकरण विज्ञान अनुसंधान कार्य में संलग्न हैं। इनमें से भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण एक प्रमुख अनुसंधान संस्था है जो हमारे देश की पादप संपदा की खोज, सूची बनाने एवं प्रलेखन संबंधी कार्यों को करती है। यदि आपकी पादप वर्गीकरण विज्ञान में रुचि है तथा इस क्षेत्र में उजला करियर बनाना चाहती हैं तो जीव विज्ञान समूह से बी.एससी. तथा बाँटनी से एम.एस.सी करने के उपरांत पादप वर्गीकरण में विशिष्टï अध्ययन करना होगा। यद्यपि पादप वर्गीकरण विज्ञान बी.एससी.तथा एम.एससी. स्तर पर एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है, किन्तु वनस्पति विज्ञान में पीएच.डी. करके पादप वर्गीकरण विज्ञान में विशेषज्ञता प्राप्त की जा सकती है। कुछ विश्वविद्यालय एम.एससी. वनस्पति विज्ञान में पादप वर्गीकरण विज्ञान को एक विषय के रूप में पढ़ाते हैं। पादप वर्गीकरण विज्ञान में अच्छा करियर बनाने के लिए वनस्पति विज्ञान (पादप वर्गीकरण विज्ञान) में पीएच.डी. डिग्री या कम से कम पादप वर्गीकरण विज्ञान में विशेषज्ञता सहित एम.एससी. डिग्रीधारी होना आवश्यक है। वनस्पति विज्ञान में एम.एससी.तथा उच्च डिग्री प्राप्त कर कोई भी उम्मीदवार आसानी से किसी अनुसंधान तथा अध्यापन संस्थान में नियुक्त हो सकता है। इसके अलावा रिसर्च फैलो, जूनियर रिसर्च फैलो तथा सीनियर रिसर्च फैलो के रूप में कार्य किया जा सकता है। योग्यता तथा अनुभव के आधार पर कोई भी व्यक्ति भारत तथा विदेशों में वानस्पतिक सर्वेक्षण संगठनों, वनस्पति संग्रहालय, क्यूरेटर, पादप वर्गीकरण विज्ञानी या वैज्ञानिक के रूप में या शैक्षिक संस्थाओं में लेक्चर, रीडर या प्रोफेसर के रूप में कार्य कर सकता है। पादप वर्गीकरण विज्ञान में कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- वनस्पति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता। वनस्पति विज्ञान विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद। वनस्पति विज्ञान विभाग, सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई। पादप जीव विज्ञान तथा पादप जैव प्रौद्योगिकी विभाग, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई।