पॉटरी डिजाइनिंग क्या है ? इस क्षेत्र में रोजगार के क्या अवसर हैं तथा यह पाठ्यक्रम कहाँ से किया जा सकता है ?

पुरातन भारतीय समाज के परम्परागत व्यवसायों के प्रति बीते एक दशक में युवा पीढ़ी की रूचि बढ़ी है । इस बदलाव के चलते विलुप्त हो रही पुरातन भारतीय विरासत का संरक्षण भी संभव हो पाया है । इसी तरह का एक व्यवसाय है `पॉटरी डिजाइनिंग' । पॉटरी डिजाइनिंग के माध्यम से निर्जीव, बेजान मिट्टी को एक ऐेसे उत्पाद में तब्दील कर दिया जाता है जिससे उसका स्वरूप स्वयं ही उसकी उपयोगिता व खूबसूरती का बखान करता है । पॉटरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं पर नजर डालें तो यहाँ आप जितनी क्षमता के साथ प्रयास करेंगे उतनी ही सफलता आपको मिलेगी । बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र के प्रति लोगों की सोच में भारी बदलाव आया है । पॉटरी डिजाइनर अपने द्वारा तैयार उत्पादों को रेलवे,होटलों, पर्यटन स्थल और क्राफ्ट बाजार में सप्लाई कर अच्छा पैसा कमा सकता है । इस क्षेत्र में व्यवसाय आरंभ करने के लिए ज्यादा निवेश या पँूजी की आवश्यकता नहीं पड़ती है । यह कम लागत में किया जा सकने वाला रोजगार या यूँ कहिए कि स्वरोजगार है । पॉटरी डिजाइनिंग का प्रशिक्षण हासिल करने के लिए सर्टिफिकेट इन क्रॉफ्ट एंड डिजाइन ऑफ पॉटरी मेकिंग, सिरेमिक डिजाइन व इंजीनियरिंग, सिरेमिक एंड ग्लास डिजाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं । इसके अलावा डिप्लोमा इन डिजाइन व पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम एंड डिजाइन के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं । पॉटरी डिजाइनिंग का पाठ्यक्रम निम्न संस्थानों में उपलब्ध है-इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, (इग्नू) नई दिल्ली, विश्वभारती विश्वविद्यालय, कोलकाता, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद ।

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