घरेलू साजो-सामान, फर्नीचर, खिलौने, पैकेजिंग, ऑटोमोबाइल, पेंट्स आदि से लेकर मेडिकल, सर्जिकल प्रोडक्ट्स, रक्षा उपकरण व होम एप्लाएंसेज तक, हर क्षेत्र में प्लास्टिक का बोलबाला है । यही नहीं, एग्रीकल्चर और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी प्लास्टिक ने अपनी पहुँच बना ली है । दरअसल, ऊर्जा संरक्षण की विशेषता के कारण प्लास्टिक इंडस्ट्री तेजी से विकसित हुई है और विश्व भर में इसे मान्यता मिली है और यही वजह है कि इस क्षेत्र में कॅरियर की संभावनाएँ भी बढ़ रही हंै । प्लास्टिक इंडस्ट्री से जुड़े लोग कच्चे माल से वस्तुओं का उत्पादन करने, उत्पादों के डिजाइन तैयार करने और उस डिजाइन को मूर्तरूप देने जैसे काम करते हैं । इसमें उत्पादों की मार्केटिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और प्रशासकीय काम भी शामिल हैं । इस क्षेत्र में विशेषज्ञों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है । सरकारी क्षेत्र के संगठन ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, पेट्रो-केमिकल रिसर्च लैबोरेट्रीज और मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड केमिकल में समय-समय पर केमिकल इंजीनियरों व प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट की भर्तियाँ होती रहती हैं । इसके अलावा, निजी कंपनियों में अवसरों की कोई कमी नहीं है । साइंस सब्जेक्ट के साथ 10+2 करने के बाद केमिकल इंजीनियरिंग, रबर टेक्नोलॉजी या प्लास्टिक इंजीनियरिंग में भी बीटेक किया जा सकता है । साथ ही पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर कई शॉर्ट व लांग टर्म डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध हैं । प्लास्टिक इंडस्ट्री से जुड़े पाठ्यक्रम संचालित करने वाले प्रमुख संस्थान हैं- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल । इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली एलडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, अहमदाबाद । बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, राँची ।