सूचना क्रांति के वर्तमान युग में कम्प्यूटर की अनिवार्यता के बावजूद कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो अपनी परम्परा एवं पहचान लगातार बनाए हुए हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख क्षेत्र है फाइन आर्ट का, जिसे ललित कला भी कहा जाता है। फाइन आर्ट एक विजुअल कम्युनिकेशन है, जिसके अंतर्गत पेंटिंग, मूर्तिकला एवं कॉमर्शियल ऑर्ट शामिल है। आज देश में फाइन आर्ट से संबंधित कई पाठ्यक्रम मौजूद हैं। इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना है। अनेक संस्थान 10वीं के बाद भी कई तरह के डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स करवाते हैं परंतु वे अधिक कारगर नहीं होते। बारहवीं के पश्चात जब छात्र के अंदर बैटर सेंस विकसित हो जाए तभी उसे इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) 12वीं के पश्चात का चार वर्षीय पाठ्यक्रम है। इसके बाद मास्टर डिग्री के रूप में दो वर्षीय मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) किया जा सकता है। बीएफए के अंतर्गत तीन साल स्पेशलाइजेशन एवं एक साल फाउंडेशन कराया जाता है, जबकि एमएफए में दो साल का स्पेशलाइजेशन होता है। यह क्षेत्र ऐसा है जो छात्रों से परिश्रम और समय माँगता है। इसमें यही देखा जाता है कि छात्र अपनी भावनाओं एवं कल्पनाओं को किस हद तक कैनवास या कागज पर उकेर पा रहा है। यानी उसके अंदर कल्पनाशीलता के साथ कुछ नया गढऩे का गुण होना आवश्यक है ताकि कला को जीवंतता प्रदान की जा सके। क्रिएटिविटी और कुछ अलग करने का जज्बा इस फील्ड में मनचाही सफलता दिला सकता है। फाइन आर्ट का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- सर जे.जे. इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड आटर्स, डीएन रोड, मुंबई। डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, जामिया नगर, नई दिल्ली। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट, गाँधी नगर, जयपुर, राजस्थान। कॉलेज ऑफ आटर्स, 20-22, तिलक मार्ग, नई दिल्ली। फाइन आटर्स कॉलेज, एम.जी. रोड, इंदौर, मध्यप्रदेश।