फ्लॉरीकल्चर, हार्टिकल्चर (बागवानी) की एक शाखा है, जिसमें फूलों की पैदावार से लेकर बाजार में इसकी मार्केटिंग तक का अध्ययन किया जाता है। भारत में फ्लॉरीकल्चर को एक शानदार भविष्य के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि यहाँ की जलवायु ऐसी है कि अनेक प्रकार के देशी-विदेशी फूल उगाए जा सकते हैं। यही कारण है कि आज लाखों की संख्या में लोग इस व्यवसाय में लगे हुए हैं। रोजगार की दृष्टिï से यह काफी संभावनाओं से भरा क्षेत्र है। सरकारी और गैर सरकारी, दोनों ही क्षेत्रों में नौकरी के पर्याप्त अवसर हैं। इसे स्वरोजगार के रूप में भी अपनाया जा सकता है। स्वयं की नर्सरी खोलकर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लॉरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लॉरीकल्चर थेरेपिस्ट, फार्म या स्टेट मैनेजर,प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर के साथ ही साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या बैचलर डिग्री कोर्स के लिए एग्रीकल्चर ग्रुप से बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। फ्लॉरीकल्चर में स्नातकोत्तर उपाधि के लिए एग्रीकल्चर में स्नातक होना आवश्यक है। फ्लॉरीकल्चर के पाठ्यक्रम इन संस्थानों में उपलब्ध हैं- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर, म.प्र.। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली। इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़। पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब। स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज, नासिक, महाराष्टï्र।