भूगर्भ विज्ञान में पृथ्वी, उसका इतिहास पर्यावरण, खनिज आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। अब यह चट्टानों और खनिजों तक ही सीमित नहीं है बल्कि विज्ञान, रसायन विज्ञान, धातु इंजीनियरी आदि में भी इसका बहुत उपयोग होता है। भारत सरकार ने अर्थ साइंसेज नाम से नया मंत्रालय स्थापित किया है जिसमें भू संरचना, भूकंप, खनन, तेल की खोज जैसे विषय आ गए हैं। तेल तथा खनन क्षेत्रों में प्राइवेट तथा विदेशी कंपनियों के प्रवेश से भूगर्भ विज्ञान के करियर में चार चाँद लग गए हैं। गौरतलब है कि भूगर्भ विज्ञान में करियर का अर्थ है धरती से जुड़े विभिन्न विषयों जैसे जियोलॉजिकल मैपिंग, जियोफिजिकल स्टडीज, मिनरल्स एक्सप्लोरेशन, एनवॉयरमेंटल स्टडीज आदि पर काम करना। जियोलॉजिस्ट या भूगर्भशास्त्री धरती से जुड़े विभिन्न भौतिक पहलुओं का अध्ययन करते हैं। वे सेटेलाइट से प्राप्त धरती से जुड़ी विभिन्न सूचनाओं का अध्ययन करने के अलावा सर्वेक्षणों को अंजाम देकर अलग-अलग तरह के नक्शे तैयार करते हैं। एक भूगर्भशास्त्री पृथ्वी के व्यवहार की भविष्यवाणी कर सकता है। इसके अलावा वह प्राकृतिक संसाधनों की खोज समेत मिट्टïी के संरक्षण को वरीयता देते हुए कृषि उत्पादकता बरकरार रखने जैसे विषयों पर भी काम करता है। इनकी यह जिम्मेदारी भी होती है कि किस प्रकार पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बगैर प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर दोहन किया जाए। पानी की गुणवत्ता बनाए रखना और वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में आ रहे बदलावों पर नजर रखते हुए उसके अनुरूप कदम उठाना भी इनका ही काम है। यही नहीं, संभावित प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी देना और उन्हें रोकने के हरसंभव उपाय बताने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी भूगर्भ शास्त्री की ही होती है। बड़े-बड़े बहुमंजिला भवनों के निर्माण समेत बाँध, सुरंग और हाईवे के निर्माण के वक्त भी इनकी राय बहुत मायने रखती है। बारहवीं के उपरांत भूगर्भ विज्ञान का डिग्री कोर्स किया जा सकता है। भूगर्भ विज्ञान में स्नातक की डिग्री के बलबूते शुरुआती स्तर पर रोजगार हासिल किया जा सकता है, लेकिन बेहतर संभावनाओं और इस क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य के लिए भूगर्भ विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री होना जरूरी है। इसके अतिरिक्त विज्ञान में गहरी रुचि के अलावा अच्छी शैक्षणिक पृष्ठïभूमि एक भूगर्भशास्त्री के लिए जरूरी योग्यता मानी जाती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि भूगर्भ विज्ञान से विज्ञान की अन्य धाराएँ किसी न किसी प्रकार से संबंध रखती हैं। कॉलेज स्तर पर विज्ञान से जुड़े विषय या भूगर्भ विज्ञान या अर्थ साइंस पाठ्यक्रम इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिहाज से मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा विद्यार्थी में बहुमुखी प्रतिभा संपन्न लोगों के साथ काम करने की योग्यता भी होनी चाहिए। इस क्षेत्र में काम करने के इच्छुक छात्रों में सीखने की ललक का होना भी बहुत जरूरी है। भूगर्भ विज्ञान का कोर्स करने के उपरांत आप भूगर्भशास्त्री, ज्योग्राफर, मीटियरोलॉजिस्ट, ओशियनोग्राफर आदि बन सकते हैं। बेशकीमती खनिज संपदा की खोज में भूगर्भशास्त्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अत: उनके लिए आगे बढऩे के निजी और सरकारी क्षेत्रों में ढेरों विकल्प मौजूद हैं। संघ लोक सेवा आयोग संघीय सरकार के अधीन आने वाले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और द सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड में रोजगार के लिए प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करता है। इस परीक्षा के द्वारा जूनियर जियोलॉजिस्ट,असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट, जूनियर हाइड्रो जियोलॉजिस के पद भरे जाते हैं। इसी तरह कोल इंडिया, मिनरल एक्सप्लोरेशन अथॉरिटी, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन में भी रोजगार के उजले अवसर मौजूद हैं। मिनरल एक्सप्लोरेशन से जुड़ी हिन्दुस्तान जिंक समेत अन्य संस्थाएँ जियोलॉजिस्ट की सेवाएँ लेती हैं। यही नहीं डिफेंस और पैरामिलेट्री फोर्स में भी इन्हें भर्ती किया जाता है। भूगर्भ विज्ञान का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर। दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद। बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ। पुणे विश्वविद्यालय, पुणे। सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई। डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ। डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी, एमएलएस यूनिवर्सिटी, उदयपुर। मैसूर यूनिवर्सिटी, मैसूर।