गीत-संगीत की दुनिया में बहुत ही उज्जवल संभावनाएँ हैं । सांस्कृतिक व परंपरागत संगीत में तो हमेशा ही लोगों की रुचि रही है, लेकिन ऑडियो, विडियो संगीत की नवीन परंपरा ने इसे नया रूप दिया है । संगीत में भविष्य बनाने के लिए सीखने की लगन, जादुई आवाज, निरंतर अभ्यास तथा दृढ़ संकल्प होना चाहिए । शास्त्रीय संगीत, लोकगीत, पार्श्वगायन, लोक गायक आदि बनने के लिए किसी स्थापित गायक, लोक गायक, संगीतकार, गीतकार की शिष्यता ग्रहण करनी होती है । गुरु शिष्य परंपरा के तहत वर्षों तक ट्रेनिंग लेने के बाद ही गायन-वादन की दुनिया में कैरियर स्थापित किया जा सकता था परंतु वर्तमान समय में कई विश्वविद्यालयों में संगीत की विधिवत शिक्षा दी जाती है । विभिन्न विश्वविद्यालयों में संगीत में बीए तथा बीए आनर्स डिग्री की शुरुआत हुई है । यह पाठ्यक्रम तीन वर्ष में किया जा सकता है । 10 + 2 के उपरांत निम्न विश्वविद्यालयों से संगीत में डिग्री की जा सकती है- विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन/ बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल / अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय, रीवा / रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर / पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर