वर्तमान में विश्व को एक वैश्विक गाँव बनाने का सपना पूरा करने में अनुवादक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। परस्पर एक दूसरे को जोडऩे में और संवाद स्थापित करने में अनुवादक की भूमिका बहुत अहम हो गई है। चाहे विदेशी फिल्मों की भारतीय भाषा में डबिंग हो या विदेशी भाषा की पुस्तकों का अनुवाद, अनुवादक की हर जगह जरूरत पड़ती है। भारत में संसद की कार्यवाही को आम जनता तक पलक झपकते पहुँचाने का कार्य भी अनुवादक के जरिए ही संभव है। इसके जरिए हम कुछ वैसा ही अनुभव करते और सोचते हैं, जैसा दूसरा कहना चाहता है। कोई भी युवा इस क्षेत्र में आकर अपना उज्ज्वल करियर बना सकता है। गौरतलब है कि अनुवाद एक साधना की तरह है। इस साधना में लीन होने के बाद ही इसका सही रूप में आनंद उठाया जा सकता है। लेखक की अपनी शैली होती है, अनुवादक का यह कर्तव्य है कि वह अनुवाद में लेखक की शैली को बनाए रखे। अनुवाद एक लिखित विधा है, जिसको करने के लिए कई साधनों की जरूरत पड़ती है। मसलन शब्दकोष, संदर्भ ग्रंथ, विषय विशेषज्ञ या मार्गदर्शक की मदद से अनुवाद कार्य पूरा किया जाता है। अपनी मर्जी के मुताबिक अनुवादक इसे कई बार शुद्धिकरण के बाद पूरा कर सकता है। अनुवाद में शब्द प्रति शब्द, शाब्दिक अनुवाद, भावानुवाद, विस्तारानुवाद और सारानुवाद जैसी कई चीजें प्रचलित हैं। यह क्षेत्र के हिसाब से तय होता है कि किसको क्या चाहिए। सरकारी दफ्तरों में आमतौर पर शब्द प्रति शब्द अनुवाद करने की ही परंपरा है। अध्ययन सामग्री तैयार करने में विस्तार से अनुवाद करने की जरूरत पड़ती है। अनुवादक बनने के लिए विश्वविद्यालयों में मूल तौर पर डिप्लोमा और डिग्री कोर्स हैं। डिप्लोमा एक साल का होता है। इसमें दाखिला लेने के लिए किसी भाषा में स्नातक होना जरूरी है। साथ ही दूसरी भाषा के ज्ञान और पढ़ाई की भी माँग की जाती है। मसलन हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद के डिप्लोमा कोर्स के लिए दोनों भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है। इनमें से छात्र ने किसी एक में स्नातक किया हो और इसके साथ ही साथ दूसरी भाषा भी पढ़ी हो। जब आप अनुवाद करियर में प्रवेश करना चाहें तो सामान्य विषयों के साथ शुरूआत करना उचित रहेगा जिन्हें चुनौतीपूर्ण साहित्यिक पाठों की तुलना में अनुवाद करना सरल होता है। आसान अनुवाद से शुरुआत करने से आपको अपना विश्वास बनाने में मदद मिलेगी जोकि कठिन पाठों को समझने और अनुवाद करने की चुनौतियों का सामना करने के लिए उपयोगी साबित होगा। जिस अनुवाद क्षेत्र में आप विशेषज्ञ प्राप्त करना चाहते हैं उसके प्रति विशेष ध्यान दें। जैसे आईटी क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक हैं तथा एक तकनीकी अनुवादक के रूप में कार्य करना चाहते हैं तो उस भाषा की आईटी शब्दावली सीखने का प्रयास करें। एक अनुवादक प्रथमत: श्रेष्ठï लेखक भी होता है। यह सुनिश्चित करें कि आप लक्षित भाषा में अपनी बात को अच्छी तरह से अभिव्यक्त कर सकें। आप स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए कई संगठनों के साथ भी जुड़ सकते हैं। यदि आप स्वतंत्र काम नहीं करना चाहते हैं तो अनुभवी अनुवादकों के लिए सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण केन्द्रों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बहुत अवसर हैं। वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद का दायरा काफी बड़ा हो गया है। सरकारी स्तर पर अनुवाद जगह-जगह तो होते ही हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में तुलनात्मक साहित्य के अध्ययन में अनुवाद की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मीडिया में अनुवाद का अहम रोल है। दूतावासों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यवसायिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर एक-दूसरे से जोडऩे के लिए अनुवादक की जरूरत पड़ती है। इस लिहाज से देखें तो अनुवादक को पहले से ज्यादा और विविध क्षेत्रों में कई अवसर मिल रहे हैं। अनुवाद के विभिन्न कोर्स संचालित करने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- भारतीय अनुवाद परिषद, 24 स्कूल लेन, बंगाली मार्केट, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यू मैहरोली रोड,नई दिल्ली। पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे। सेन्ट जेवियर्स कॉलेज, मुम्बई। भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय, उत्तरी परिसर, दिल्ली। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदानगढ़ी, नई दिल्ली। इसके अलावा भी देश के अन्य कई विश्वविद्यालयों में भी अनुवादक के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।