आर्किटेक्ट का काम किसी आइडिया को मूर्तरूप देना और उसे कंक्रीट के रूप में जमीन पर उतारना है। किसी आर्किटेक्ट की काबिलियत इस बात पर निर्भर करती है कि वह जगह और साधनों के बेहतर इस्तेमाल में कितना कुशल है। बारहवीं में गणित, भौतिकी और रसायन विषयों की पढ़ाई के बाद आप आर्किटेक्चर में स्नातक की पढ़ाई कर सकते हैं। अगर स्कूल स्तर पर आपने इंजीनियरिंग ड्राइंग की पढ़ाई की है तो आगे यह कोर्स काफी आसान हो जाता है। पाँच वर्षीय स्नातक कोर्स बी. आर्क. में आर्किटेक्चरल डिजाइन, प्लानिंग, आर्ट एप्रीसिएशन, बिल्डिंग मैनेजमेंट, नेचर एंड एनवॉयरमेंट, मेथड ऑफ कंस्ट्रक्शन और हिस्ट्री ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर विषय पढ़ाए जाते हैं। आर्किटेक्ट का कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है। आर्किटेक्चरल फर्म, कंस्ट्रक्शन कंपनी, सरकारी विभागों और पुल निर्माण निगम जैसी कंपनियों में आर्किटेक्ट काम कर सकता है। केंद्र व राज्य सरकारों के निर्माण व रखरखाव विभाग, शहरी व ग्रामीण विकास विभाग और नगर निगमों में आर्किटेक्ट बहुत ही आकर्षक वेतन पर रखे जाते हैं। इसके अलावा आज देश में 300 से अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनियाँ हैं, जो कई सारे प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करती हैं और जिनके यहाँ सैकड़ों आर्किटेक्ट काम करते हैं। अगर आर्किटेक्ट चाहें तो अपनी फर्म बनाकर फ्रीलांस की तरह काम कर सकते हैं, जिसमें उन्हें प्रति डिजाइन के हिसाब से पेमेंट किया जाता है। रचनात्मकता इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योग्यता है, जिसके आधार पर आप तरक्की की सीढिय़ाँ तेजी से चढ़ सकते हैं। आर्किटेक्चर के डिग्री कोर्स के लिए आप इन प्रमुख संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं- स्कूल ऑफ आर्किटेक्टर, आईपीएस एकेडमी, इंदौर (वेबसाइट www.ipsacademy.org)। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर (वेबसाइट www.dauniv.ac.in)। रुडक़ी इंजीनियरिंग कॉलेज, रूडक़ी, उत्तराखंड (वेबसाइट www.iitrernet.in)। बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, राँची (वेबसाइट www.bitmesra.ac.in)। दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु (वेबसाइट www.dayanandasgar.edu))।