एनिमल ब्रीडर का मुख्य कार्य पशुओं, पक्षियों एवं मछलियों की प्रजातियों में सुधार करना तथा उनकी उत्पत्ति संबंधित सिद्धांतों का अनुप्रयोग करना होता है। एनिमल ब्रीडर इनके रखरखाव का वैज्ञानिक तरीका अपनाकर इनके पोषण व आनुवांशिकी में सुधार एवं बीमारियों से बचने के तरीकों के द्वारा इनके प्रदर्शन में सुधार करता है। एनिमल ब्रीडर के रूप में कॅरियर बनाने के लिए उम्मीदवार को एनिमल जेनेटिक्स एंड एनिमल ब्रीडिंग में स्नातकोत्तर होना जरूरी है। ध्यातत्व है कि भारत में विशाल संख्या में पशुधन है एवं इनकी जैव विविधता को देखते हुए इस क्षेत्र में सुधार हेतु तकनीकी रूप से सक्षम एनिमल ब्रीडर काफी कम संख्या में हैं। ऐसे में तकनीकी रूप से सक्षम हजारों एनिमल ब्रीडरों की देश में आवश्यकता है । एनिमल ब्रीडर के रूप में उम्मीदवार को विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, पशु विश्वविद्यालय इत्यादि में शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में कॅरियर बनाने का अवसर प्राप्त होता है। एमिनल जेनेटिक्स एवं एनिमल ब्रीडिंग में स्नातकोत्तर के उपरांत केंद्र एवं राज्य सरकार के अधीन कॅरियर के काफी उजले अवसर हैं। केंद्र सरकार के अंतर्गत कृषि मंत्रालय के अधीन सेंट्रल डिपार्टमेंट ऑफ एनिमल हस्बेंड्री, मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट एंड फॉरेस्ट्री के अधीन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल वेलफेयर, नाबार्ड, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड आदि में रोजगार के चमकीले अवसर हैं। इसी प्रकार विभिन्न राज्यों में स्थित स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फर्म, लाइवस्टोक डेवलपमेंट बोर्ड इत्यादि में साइंटिस्ट, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर,फार्म मैनेजर इत्यादि के रूप में कॅरियर के सुनहरे अवसर हैं। यदि आपकी रुचि शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में है तो एनिमल जेनेटिक्स एवं ब्रीडिंग में स्नातकोत्तर के बाद आप विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि एवं पशुपालन विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर केे रूप में कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। इस क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के बाद आप इसे स्वरोजगार के रूप में भी अपना सकते हैं।