सडक़ों पर दौड़ रहे वाहनों में बड़ी तादाद में दुपहिया वाहन जैसे स्कूटर, स्कूटरेट,मोटर सायकिल और मोपेड ही नजर आते हैं। आम आदमी के लिए दुपहिया वाहन उसकी रोजमर्रा की जिन्दगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। जब सडक़ पर इतने प्रकार के वाहन दौड़ रहे हैं तो दुर्घटनाओं का होना कोई बड़ी बात नहीं है। गौरतलब है कि भारतीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 26 जुलाई, 2018 को जारी आँकड़ों के अनुसार बीते वर्ष 2017 में सर्वाधिक 65562 सडक़ दुर्घटनाएँ तमिलनाडु में हुई थीं तथा 53399 सडक़ दुर्घटनाओं के साथ मध्यप्रदेश का इस मामले में दूसरा स्थान रहा। वर्ष 2017 में देश में हुई कुल सडक़ दुर्घटनाओं में 147913 लोग मारे गए थे। इस भयावह स्थिति को देखते हुए जरूरत इस बात की है कि दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षात्मक उपाय अपनाए जाएँ। दुपहिया चालकों के लिए क्रैश हेलमेट एक ऐसा ही सुरक्षात्मक उपाय है। आमतौर पर देखा गया है कि दुपहिया वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर चालक को सबसे ज्यादा सिर पर चोट लगने की आशंका होती है। सिर पर गंभीर चोट या फे्रक्चर होने से ब्रेन हेमरेज होने का डर रहता है। सामान्यत: ऐसी चोटें प्राणघातक होती हैं। इसीलिए स्कूटर, मोटर सायकिल और मोपेड चालकों को तो अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना ही चाहिए। पिछली सीट पर बैठे व्यक्ति भी यदि हेलमेट का इस्तेमाल करें तो और भी अच्छा है। चूँकि वाहनों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अत: इस इकाई की स्थापना में आय की अच्छी संभावनाएँ हैं। क्रैश हेलमेट के लिए आईएसआई 4151 और डी.आई.4848 के मानक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों के अनुसार हेलमेट के कवच (शेल) के लिए प्रयुक्त कच्चा माल का मटेरियल में सही तरीके से ट्रीट किए जाने के बाद रोजमर्रा के लिए उपयोग के दौरान दुर्घटनाओं को छोडक़र सारे आपेक्षित गुणों को यथासमय तक बने रहना चाहिए। साथ ही उसे ग्रीस नॉन ऑक्सीडाइजिंग साल्ट्स पसीना और मौसमी विकारों का रोधी होना चाहिए। निर्माण विधि- नायलॉन को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल कर हेलमेट का निर्माण इंजेक्शन मोल्डिंग प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। शट-ऑफ नोजल वाली स्कू्र टाइप इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन का इस्तेमाल हेलमेट निर्माण में किया जाता है। हॉपर के द्वारा कच्चा माल मोल्डिंग मशीन में भेजा जाता है और सिलेंडर में गर्म किया जाता है। पिघला हुआ माल जिसे मेल्ट कहा जाता है स्क्रू के सामने एक छोटे से समायोज्य चेम्बर में रखा जाता है। स्क्रू की अग्रवर्ती क्रिया या फॉरवर्ड मोशन से एक निश्चित परिमाण का मेल्ट उच्चदाब वाले बंद मोल्ड में इंजेक्ट किया जाता है। कुछ क्षणों बाद मोल्ड के बाहर से ठंडे पानी का संचरण कर शीतल किया जाता है। मोल्ड़ के अंदर इंजेक्ट किया मेल्ट कुछ देर तक दबाव में रखा जाता है जिससे वह मोल्ड पर्याप्त मात्रा में भर जाए। मेल्ट पूरी तरह से ठंडा होकर हेलमेट आकर जब ले लेता है तब उसे वायु प्रवाह (एयर स्ट्रीम) यांत्रिक इलेक्टर्स द्वारा मोल्ड से बाहर निकाला जाता है। इस इकाई की स्थापना से संबंधित विस्तृत विवरण के लिए अपने जिले में स्थित जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र से संपर्क करें।