भारत में गुलाब का शौक मुगलकाल से ही चला आ रहा है और आज भी सौन्दर्य व सुगंध में गुलाब को फूलों में प्रथम स्थान प्राप्त है। गुलाब से कट फ्लॉवर के अतिरिक्त शाखाएँ व गुलदस्ते भी बनाए जा सकते हैं। सौन्दर्य के अलावा गुलाब से इत्र, गुलाब जल, गुलकन्द तथा गुलाब तेल भी बनाया जा सकता है। गुलकन्द के रूप में गुलाब का उपयोग औषधीय गुणों के लिए भी किया जा सकता है। सुगंध उद्योग में गुलाब के तेल का काफी महत्व है। इसके तेल का उपयोग औषधि के रूप में (पित्ताशय की पथरी जैसी बीमारियों में) होने के कारण अन्तरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बहुत अधिक है। इतने गुणों से संपन्न गुलाब को एक व्यवसाय के रूप में अपनाया जा सकता है। उत्पादन प्रक्रिया- भूमि की तैयारी- दोमट मिट्टïी गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त होती है। खेत की तीन बार जुताई करनी चाहिए और उसके पश्चात खेत को समतल बना देना चाहिए। खेत में जल निकास का प्रबन्ध करना चाहिए। जहाँ पर गुलाब के पौधे लगाए जाएँ वहाँ पर छाया नहीं होनी चाहिए। गड्ढïे बनाना- गुलाब की कलम या पौधे लगाने के लिए गड्ढे (1 & 1) लगभग 45-50 से.मी. दूरी पर बनाना चाहिए। पौधे लगाने का उचित समय- अक्टूबर एवं नवम्बर के बीच होता है। गुलाब की प्रमुख प्रजातियाँ- म्रिनालीन, प्रियदर्शनी रक्तगंधा, नीलाम्बर, जवाहर, प्रेमा आदि। इनके अतिरिक्त भी काफी प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। इत्र के लिए नूरजहाँ प्रजाति उत्तम है। नए पौधे लगाते समय- मिट्टी व गोबर खाद को समान मात्रा में मिलाकर तथा आधा कि.ग्रा. खली प्रति पौधे को देना चाहिए। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर में- पौधे के तने के चारों तरफ से लगभग 10 से 12 से.मी. की दूरी पर 8-10 से.मी. गहराई में मिट्टïी की खुदाई कर अलग हटा देनी चाहिए। 4-5 दिन तक गड्ढा खुला छोड़ देना चाहिए। उसके पश्चात लगभग 4-5 कि.ग्रा. गोबर खाद प्रत्येक पौधे के पास गड्डे में डाल दें और उसके ऊपर मिट्टïी भर दें। उसके पश्चात सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। सिंचाई- गर्मी के मौसम में 5-6 दिन के अन्तराल पर तथा सर्दियों के मौसम में 8-10 दिन के अन्तराल पर पौधों में पानी देना चाहिए। वर्षाकाल में काफी कम पानी देने की आवश्यकता पड़ती है। कटाई-छंटाई- अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में कटाई- छंटाई का कार्य करना चाहिए। पतली, छोटी, सूखी और एक दूसरे में उलझी हुई शाखाओं को पहले काटना चाहिए। प्राय: मोटी-मोटी 3-4 शाखाओं को छोडक़र अन्य शाखाओं को भूमि से एक फुट ऊँचाई से काटना चाहिए। फूलों की कटाई- गुलाब के फूल को पूरा खिलने के पूर्व ही काट लेना चाहिए। फूलों को प्राय: शाम को काटना चाहिए। विपणन- 1. स्थानीय बाजार, 2. फूल मंडियों में बिक्री की जा सकती है, 3. इत्र व दवाइयाँ बनाने वाली कम्पनियों को बेचा जा सकता है। प्रशिक्षण व अन्य जानकारी-गुलाब के फूलों की खेती के विषय में वैज्ञानिक प्रशिक्षण तथा अन्य जानकारी आप निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त कर सकते हैं- पुष्प विज्ञान संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, गुडग़ांव, हरियाणा। मध्यप्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय। कृषि विज्ञान केन्द्र। राज्य उद्यान विभाग। बागवानी प्रशिक्षण केन्द्र, करनाल। इसके अलावा जो किसान गुलाब की खेती पहले से कर रहे हैं उनसे भी गुलाब की खेती से संबंधित व्यावहारिक प्रशिक्षण लिया जा सकता है।