ग्रामीणों के अधिकारों के लिए लडऩा एवं उनका हक उन्हें दिलवाना, एंटी करप्शन मूवमेंट चलाना, वुमन हेल्थ एंड चाइल्ड हेल्थ पर काम करना, शहरी लोगों के प्रभाव से ग्रामीणों को मुक्त करना भी ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन के अंतर्गत आता है। वर्तमान समय में करियर के रूप में ग्रामीण विकास को इसलिए भी महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि यह एक व्यापक क्षेत्र है तथा इस क्षेत्र में अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। चूंकि ग्रामीण विकास का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, ऐसे, में पहले आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप टीचिंग, रिसर्च या फील्ड वर्क में से कहाँ जाना पसंद करेंगे। आप जिस भी क्षेत्र का चुनाव करें, पूरे मन से, समाज की भलाई के लिए और तत्परता से काम करें। अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का अपने काम के समय इस्तेमाल करें, तभी आप रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में उजला करियर बना पाएँगे। आज देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थान रूरल डेवलपमेंट में प्रोफेशनल कोर्स करा रहे हैं, जिसके चलते देश में प्रशिक्षित रूरल डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स बड़ी संख्या में तैयार हो रहे हैं। रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आप तरक्की करने लगते हैं। रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए बारहवीं के बाद बीए,एमए इत्यादि के बाद सीधे-तौर पर ग्रामीण विकास के लिए काम किया जा सकता है लेकिन करियर को और बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि बैचलर ऑफ सोशल वर्क या मास्टर ऑफ सोशल वर्क का कोर्स किया जाए। इन कोर्सों में दाखिले के लिए हर संस्थान और यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेने के अगल-अलग नियम तथा शर्तें हैं। रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने के लिए 12वीं के बाद बैचलर ऑफ सोशल वर्क करके सीधे फील्ड में काम कर अनुभव पा सकते हैं या फिर इसके उपरांत दो साल का मास्टर ऑफ सोशल वर्क कोर्स करके कैम्पस प्लेसमेंट से जॉब हासिल का सकते हैं। रिसर्च क्षेत्र में जाने के लिए दो वर्ष का एमफिल भी कर सकते हैं। आगे आप चाहें तो पीएचडी भी कर सकते हैं। रूरल मैनेजर गैर-सरकारी संगठनों, सरकारी संगठनों, वित्तीय संस्थाओं, ग्रामीण बैंकों, सहकारी क्षेत्रों, ग्रामीण उद्योगों तथा निजी उद्यमों में कार्य करते हैं। रूरल मैनेजरों के लिए उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी उजले अवसर हैं, जो कंपनियाँ अप्रयुक्त ग्रामीण बाजारों में विशेष रूप से वैद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिकी, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार, परिवहन ग्रामीण आवासन, उत्पादन एवं औद्योगिक कृषि तथा पावर क्षेत्रों में प्रवेश करने का प्रयास कर रही हैं। रूरल मैनेजमेंट ग्रामीण उद्यमों में कार्य दक्षता तथा सुधार पर सलाह देने वाले परामर्शदाता, विश्लेषण, प्रबंधक एवं नीति-निर्माता के रूप में कार्य करते हैं। रूरल मैनेजर ग्रामीण विकास योजनाओं के नियोजन तथा निष्पादन में सहायता करते हैं और इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन के विकास में अपना योगदान देते हैं। रूरल मैनेजर अपनी कंपनी की प्रगति या लाभ-वृद्धि के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। रूरल मैनेजमेंट के छात्र सरकारी विकास एजेंसियों तथा गैर सरकारी संगठनों में रोजगार के उपयुक्त अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें विकास योजनाओं तथा कार्यक्रमों के प्रबंधन के लिए अनुबंध आधार पर भी रखा जा सकता है। अत्यधिक प्रतिभावान युवा संयुक्त राष्ट्र एवं इसकी विशेषज्ञ एजेंसियों में अथवा इसके द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में रोजगार के आकर्षक अवसर तलाश सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन चला सकते हैं और उसके द्वारा सीधे ग्रामीण व्यक्तियों से जुड़ सकते हैं। रूरल डेवलपमेंट तथा रूरल मैनेजमेंट का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- • महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, सतना। • टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुम्बई। • दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली। • ग्रामीण प्रबंधन संस्थान (आई.रा.एम.ए.), आणंद। • राष्ट्रीय सामाजिक कार्य एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान (एन.आई.एस.डब्ल्यू. ए.एस.एस.), भुवनेश्वर। • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद।