जासूसी का क्षेत्र रोमांचक होने के साथ खतरों से भी भरा होता है। यह कार्य इतना सहज व आसान नहीं है, जितना समझा जाता है। जासूस को मुख्यत: तीन तरह के कार्य करने पड़ते हैं- निगरानी- इसमें किसी व्यक्ति पर निश्चित समय सीमा तक निगाह रखनी पड़ती है। उसकी गतिविधियों के आधार पर मुवक्किल की जरूरत पूरी करनी पड़ती है। इसमें पति,पत्नी के मामले, दहेज संबंधी शिकायतें या फिर बच्चों की देखभाल संबंधी कार्य आते हैं। छानबीन-इसके तहत कोई भी जासूस संबंधित व्यक्ति के पास जाकर उससे बातचीत कर वांछित सूचनाएँ प्राप्त करता है। पैठ बनाना- यह कार्य काफी कठिन होता है। इसमें किसी संस्थान में बतौर कर्मचारी प्रवेश करना, सबसे घुलना-मिलना और समस्या तथा उसके मूल कारण का पता लगाना होता है। कोई भी व्यक्ति सफल जासूस तभी बन सकता है जब उसमें जोखिम उठाने का माद्दा हो। वह अपनी पहचान छुपाए रखने में माहिर हो। इसके अलावा वह शीघ्र निर्णय लेने में सक्षम हो, आत्मविश्वास से भरपूर हो, दृढ़ इच्छाशक्ति रखता हो तथा हर चुनौती का सामना करने को तैयार हो। यदि फोरेंसिक विज्ञान की पृष्ठïभूमि हो तो वह उसकी अतिरिक्त योग्यता मानी जाएगी। इस क्षेत्र से संबंधित कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थानों में प्रवेश बारहवीं के उपरांत लिया जा सकता है। जासूस की ट्रेनिंग देने वाले सरकारी संस्थानों का अभाव है। जासूसी पाठ्यक्रम संचालित करने वाले प्रमुख प्रायवेट संस्था इस प्रकार हैं- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रायवेट इन्वेस्टीगेशन, एस-2, पैराडाइज प्लाजा, अलकनंदा कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली। केनेडियन एकेडमी ऑफ प्रायवेट इन्वेस्टीगेशन, नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ कार्पोरेट इन्वेस्टीगेटर, नई दिल्ली। बॉम्बे इंटेलीजेंस सिक्योरिटी इंडिया लिमिटेड, 101 ओमेगा हाउस, हीरानंदानी गार्डन, पवई, मुंबई।