व्यावसायिक दृष्टि से पिछले दो दशकों में पर्यटन का महत्व बहुत तेजी से उभरकर सामने आया है । प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विश्व के विभिन्न देशों से पर्यटक हमारे देश में आते हैं । उन्हें हमारे देश की परंपरा, कला एवं संस्कृति के विविध पक्षों को जानने की गहरी उत्कंठा होती है । उन्हें इन सबसे अवगत कराने में टूरिस्ट गाइड की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है । किसी भी राज्य में टूरिस्ट गाइड नियुक्त होने के लिए उस राज्य विशेष की अधिक से अधिक जानकारी होनी आवश्यक है । हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के साथ-साथ उस राज्य की क्षेत्रीय भाषा में भी विशेष दक्षता आवश्यक है । इसके अतिरिक्त ट्ररिस्ट गाइड को फ्रेंच, इटेलियन, जापानी आदि विदेशी भाषाओं का अच्छा ज्ञान हो तो उसका महत्व और बढ़ जाता है । टूरिस्ट गाइड बनने के लिए कई संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों में पर्यटन से संबंधित कुछ विशेष बुनियादी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं । यहाँ बारहवीं और स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रवेश लिया जा सकता है । मास्टर ऑफ टूरिज्म मैनेजमेंट (एमटीएम)- यह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है । इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष निर्धारित है । इसमें प्रवेश हेतु उच्चतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है । किसी भी संकाय में 50 प्रतिशत अंक से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जा सकता है । मास्टर ऑफ टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन (एमटीए)- यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम है । इसमें प्रवेश हेतु 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उपाधि आवश्यक है । बेसिक कोर्स ऑन कम्प्यूटर एप्लीकेशन इन टूरिज्म एंड ट्रेवल इंडस्ट्री- इस डिप्लोमा कार्यक्रम में बारहवीं के बाद प्रवेश लिया जा सकता है । टूरिस्ट गाइड से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रम करने हेतु निम्न संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रेवल्स मैनेजमेंट, ग्वालियर, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एवं ट्रेवल्स मैनेजमेंट, 9 चाणक्यपुरी, नई दिल्ली ।