मैं टूल डिजाइनिंग के क्षेत्र में चमकीला करियर बनाना चाहता हूँ। कृपया मुझे बताएँ कि इस क्षेत्र में कौन-कौनसे प्रमुख कोर्स उपलब्ध हैं तथा इस क्षेत्र में रोजगार की स्थिति क्या है ?

यकीनन टूल डिजाइनिंग एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ प्रशिक्षण के उपरांत रोजगार की बहुत चमकीली संभावनाएँ हैं। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन देशभर के विभिन्न हिस्सों में चल रहे सेंट्रल टूल रूम एवं केंद्रीय औजार कक्ष एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीटीटीसी) से निकले सभी बैचों के छात्र शत-प्रतिशत रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि विनिर्माण उद्योग में टूल डिजाइन का विशेष स्थान है। या हम यह कह सकते हैं कि टूलिंग उत्पाद, डिजाइन तथा विनिर्माण उद्योग की रोजगार माँग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर, इंडो-जर्मन टूल रूम जैसे कुछ चुनिंदा संस्थानों में ही टूल एंड डाई निर्माण में डिप्लोमा, सीएनसी मशीनिंग में सर्टिफिकेट, टूल डिजाइनिंग में डिप्लोमा, कम्प्यूटर एडिट टूल डिजाइन में डिप्लोमा, कैम तथा कैड एवं टूल डिजाइन में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम, उपलब्ध हैं। यह सभी पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के दौरान लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों विशेषकर धातु और प्लास्टिक समूह के उद्योगों में प्रयुक्त जिग्स एवं फिक्सचर्स, प्रेस टूल्स, प्लास्टिक मोल्ड टूल्स, डाई कास्टिंग साइज, आटोकैड सीएनसी प्रोग्रामिंग तथा मशीनिंग (लैश एवं मिलिंग), यूनीग्राफिक्स (कैम एवं कैड), कैटिया (कैड), मैटीरियल, विशिष्टïीकरण एवं हीट ट्रीटमेंट, हाइड्रोलिक्स आदि का बुनियादी प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हैं। सीएनसी मशीनिंग के एक वर्षीय सर्टीफिकेट कोर्स में मशीनिस्ट, टर्नर ट्रेड के आईटीआई उत्तीर्ण अभ्यर्थी दाखिला ले सकते हैं। इन्हें प्रशिक्षण के दौरान सीएनसी मिलिंग प्रचालन तथा प्रोसेसिंग, सीएनसी टर्निंग, प्रचालन एवं प्रोग्रामिंग आदि की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। टूल डिजाइनिंग के विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम छह माह से लेकर चार वर्ष तक की अवधि के होते हैं। टूल डिजाइनिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश इंट्रेंस टेस्ट तथा इंटरव्यू के उपरांत दिया जाता है। सीएनसी मशीनिंग के छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स में किसी भी ट्रेड में आईटीआई उत्तीर्ण उम्मीदवार दाखिला ले सकते हैं। जबकि टूल एवं डाई निर्माण के चार वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिले के लिए विज्ञान तथा गणित विषय के साथ बारहवीं की परीक्षा न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। यह पाठ्यक्रम इंदौर, जमशेदपुर तथा कोलकाता में चल रहे इंडो-जर्मन टूल रूम में उपलब्ध है। उक्त तीनों संस्थानों में इस पाठ्यक्रम हेतु 60-60 सीटें निर्धारित हैं। दो वर्षीय मशीनिस्ट ट्रेड में दाखिले के लिए दसवीं परीक्षा गणित, विज्ञान के साथ न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके अलावा कैम/कैड तथा टूल डिजाइनिंग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, कम्प्यूटर एडिट टूल डिजाइन के पोस्ट डिप्लोमा, मैकेनिकल उत्पाद, ऑटोमोबाइल, टूल एवं डाई अथवा प्लास्टिक प्रोग्राम इन कम्यूटेशनल इंजीनियरी, पीजी डिप्लोमा इन एम्बेडेड सिस्टम डिजाइन आदि पाठ्यक्रम भी विभिन्न टूल डिजाइन प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध हैं। इन सभी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए वैद्युत/इलेक्ट्रॉनिकी/कम्प्यूटर इंजीनियरी में डिप्लोमा अथवा बीटेक डिग्री होनी आवश्यक है। टूल डिजाइन के एडवांस पाठ्यक्रमों को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को शुरूआती तौर पर कम्प्यूटर एडेड टूल डिटेलर्स, प्रोडक्ट ड्राफ्टर्स, एक्ट्रीलेवल डिजाइनर्स, कैड ऑपरेटर्स तथा अन्य तकनीकी पदों पर नौकरी के उजले अवसर मिलते हैं जबकि आईआईटी के उपरांत सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स करने वाले उम्मीदवारों को मास्टर क्राफ्टमैन इंजीनियर जैसेे पदों पर रोजगार मिलता है। विभिन्न पदों पर वेतन योग्यता एवं पाठ्यक्रमानुसार मिलता है। टूल डिजाइनिंग का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- इंडो-जर्मन टूल रूम, औद्योगिक क्षेत्र, सांवेर रोड, इंदौर। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, बालंगार, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टूल डिजाइन, पुणे, महाराष्टï्र। इंडो-डेनिस टूल रूम, गम्हारिया, जमशेदपुर। सेन्ट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर, सूक्ष्म,लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, भुवनेश्वर।

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