पारंपरिक रूप से डायमंड (हीरे) को जाँचने का काम सिर्फ जौहरी ही किया करते थे, लेकिन आज के आधुनिक युग में तकनीकी ज्ञान के विकास ने इसकी कटिंग और ग्रेडिंग क्वालिटी में जबरदस्त निखार ला दिया है। यही कारण है कि अब हीरे को मोतियों और अंगूठियों के अलावा परिधानों में भी लगाया जाने लगा है और यह सब संभव हुआ है डायमंड कटिंग एवं ग्रेडिंग जैसे नए अध्ययन क्षेत्र का द्वार खुलने से, जिसमें हीरे को वैज्ञानिक ढंग से तराशकर इसके कलेवर में ताजगी भरी जाती है। डायमंड कटिंग एंड ग्रेडिंग पाठ्यक्रम में विषय वस्तु के तौर पर कटिंग एंड पॉलिशिंग, ऑप्टिकन प्रोपर्टीज, आइडियल कट, लैंड लूप, क्लेरिटी ग्रेडिंग, कलर ग्रेडिंग, फैंसी कलर, वैल्यूशन ऑफ डायमंड, डायमंड एंड इट्स सब्स्टीट्यूट, वल्र्ड डायमंड मार्केट स्ट्रक्चर विद इंडियन कांटेक्स्ट इत्यादि का विधिवत अध्ययन कराया जाता है। देश के कई सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा यह कोर्स संचालित किया जा रहा है। 12वीं के बाद इस विषय में सर्टिफिकेट से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के विकल्प हैं। एडमिशन के लिए छात्रों का चयन प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। जहाँ तक डायमंड के परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति का प्रश्न है तो यहाँ प्रतिवर्ष 20 मिलियन डॉलर का कारोबार होता है जिसमें 30 प्रतिशत हीरे के आभूषण भारत से एक्सपोर्ट होते हैं। जाहिर है इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएँ हैं। प्रारंभ में इस क्षेत्र में 10 से 15 हजार रुपए तक की नौकरी आसानी से मिल जाती है जो अनुभव व कार्यकुशलता के आधार पर लाखों तक पहुँच जाती है। इस क्षेत्र को कॅरियर के रूप में चुनने वाले अधिकांश लोग कुछ समय बाद स्वयं अपना व्यवसाय खोलकर लाखों कमाने लगते हैं। इस क्षेत्र में कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- इंडियन डायमंड इंस्टीट्यूट, जयपुर, राजस्थान । इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डायमंड, सूरत, गुजरात। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेमोलॉजी नई दिल्ली।