निर्माण उद्योग (कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री) के अंतर्गत आर्किटेक्चर, बिल्डिंग इंजीनियरिंग और प्लानिंग जैसे कई कार्य आते हैं। यकीनन निर्माण उद्योग में करियर की संभावनाएँ बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। निर्माण उद्योग के क्षेत्र में आए बूम के पीछे मुख्य कारण भारत सरकार की ओर से इस क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी निवेश को मंजूरी देना है। आधुनिकीकरण के चलते आज इस क्षेत्र में करियर की नई-नई संभावनाएँ भी सामने आ रही हैं। तमाम स्पेशलाइज्ड कामों के लिए इस फील्ड में कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की जबरदस्त माँग है। हालात यह है कि अब शिक्षण संस्थानों ने इस क्षेत्र के अनुकूल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी चलाना शुरू कर दिया है।निर्माण क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आवेदक में सेल्स स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, व्यावहारिक व कार्य के प्रति जिम्मेदार होना जैसे गुण होना जरूरी हैं। इन खूबियों के बलबूते आप निर्माण उद्योग के क्षेत्र में उम्दा भविष्य बनाने का सपना साकार कर सकते हैं। निर्माण क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ प्रोडक्ट की क्वालिटी पर विशेष जोर दिया जाता है। अगर निर्माण ही कमजोर होगा तो उसे खरीदेगा कौन ? यही कारण है कि आज ग्राहक निवेश करने से पहले यह जान लेना चाहता है कि आखिर उसके द्वारा खरीदी जाने वाली सम्पत्ति को बनाने में किस हद तक विश्वसनीयता को तरजीह दी गई है। इसी आवश्यकता के चलते अब प्रोफेशनल्स की माँग बढ़ रही है। इस क्षेत्र में करियर विकल्पों की बात करें तो यह एक बहुविकल्पीय जॉब प्रदान कराने वाला क्षेत्र है। भवन निर्माण प्रक्रिया की बात करें तो इसके अनेक चरण होते हैं। आर्किटेक्चर प्रस्तावित भवन का मैप (नक्शा) तैयार करता है। उस मैप को साकार रूप देने की जिम्मेदारी इंजीनियरों और मजदूरों के कंधों पर होती है। डिजाइन बनाने के बाद सिविल इंजीनियरिंग का काम शुरू होता है। इसमें निर्माण स्थल का सर्वेक्षण, तकनीकी व वित्तीय पक्ष की जाँच-पड़ताल और निर्माण कार्य की योजना बनाना शामिल है। सिविल इंजीनियरों के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जरूरी है। टाउन एंड कंट्री प्लानर जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करता है। इन सब कामों के लिए फील्ड सर्वे और अध्ययन जरूरी होता है। इसके बाद मॉडल, स्केच या ले आउट तैयार किया जाता है, जिसके लिए ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर विशेषज्ञता हासिल करना जरूरी है। इसमें ड्राफ्टसमैन का काम भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसे आमतौर पर आर्किटेक्ट के साथ काम करना होता है। ड्राफ्टसमैन इमारतों, सडक़ों, पुलों और बाँधों आदि का बुनियादी नक्शा तैयार करता है। किसी भी परियोजना के मंजूर होने पर विस्तृत साइट प्लान तैयार करता है। कौनसी चीज कहाँ बनाई जाए, इमारत कितनी मंजिला हो जैसे काम ड्राफ्टसमैन के हैं। कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा हासिल करने के लिए न्यूनतम योग्यता इंजीनियरिंग/आर्किटेक्चर की किसी भी शाखा में ग्रेजुएट डिग्री या आट्र्स, कॉमर्स या साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होना जरूरी है । इसके अलावा कंपनी सचिवों, चार्टेड एकाउंटेंटों, ग्रेजुएट इंजीनियरों व वास्तुकारों के लिए कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पत्राचार माध्यम से भी उपलब्ध है । रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए टेक्नो मैनेजर की जरूरत भी तेजी से महसूस की जा रही है । रियल एस्टेट से जुड़ी नित नई कंपनियाँ बाजार में आ रही हैं जो रियल एस्टेट फायनेंस, इंश्योरेंस, मार्केटिंग, लीगल, प्लानिंग एवं डेवलपमेंट जैसे कार्यों के लिए एक्जीक्यूटिव्स को नियुक्त करती हैं । इन कंपनियों में मैनेजमेंट ट्रेनी, असिस्टेंट मैनेजर, सेल्स, एक्जीक्यूटिव्स, लीगल एक्जीक्यूटिव, प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के रूप में करियर बना सकते हैं । आधारभूत क्षेत्र अर्थात सडक़, बिजली, बाँध, तालाब, नहर आदि क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं में प्रोजेक्ट मैनेजर, साइट ऑफिसर, सुपरवाइजर आदि के रूप में उज्ज्वल भविष्य बनाया जा सकता है । लोक निर्माण विभाग, डाक व तार, रेलवे, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और सार्वजनिक क्षेत्र के विभागों में रोजगार की उजली संभावनाएँ हैं । आर्किटेक्चर व कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में डिप्लोमाधारक निजी क्षेत्रों में भी भाग्य आजमा सकते हैं । मल्टीनेशनल कंपनियों, रियल एस्टेट, डेवलपर फर्मों और निर्माण सलाहकार कंपनियों में योग्य कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की भारी माँग है । बैंकिंग और हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर में भी कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की जरूरत होती है। बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के पेशवर लोग अपनी निजी कंपनी भी खोल सकते हैं । निर्माण उद्योग से संबंधित पाठ्यक्रम देश और प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं, इनमें से कुछ प्रमुख संस्थानों के नाम यहाँ दिए जा रहे हैं। निर्माण उद्योग से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम निम्न संस्थानों में उपलब्ध हैं - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट एंड रिसर्च- मुंबई, पुणे, गुडगाँव, बैंगलुरू। राजीव गाँधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल। एकोमोडेशन टाइम्स इंस्टीट्यूट ऑफ रियट स्टेट मैनेजमेंट, मुंबई। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली। सेंटर फॉर एन्वायरमेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद। रूडक़ी विश्वविद्यालय, रूडक़ी। निकमार कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्रीज स्टाफ कॉलेज, हैदराबाद।