न्यूक्लिअर इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की एक विशिष्ट ब्रांच है, जिसमें न्यूक्लिअर रिएक्टर का डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन का अध्ययन शामिल है। न्यूक्लियर इंजीनियरिंग, नाभिकीय ऊर्जा के निकलने, नियंत्रित करने, उपयोग करने की प्रक्रिया होती है। इसके अलावा इसमें रेडिएशन का उपयोग और रेडियोएक्टिव मटीरियल बनाना भी शामिल है। न्यूक्लियर इंजीनियरिंग में छात्रों को रेडियोएक्टिव मटीरियल और रेडिएशन को विभिन्न क्षेत्रों जैसे पॉवर, मेडिसिन और मैन्युफैक्चरिंग में कैसे उपयोग करना है, बताया जाता है। न्यूक्लियर इंजीनियरिंग करने वाले छात्र एटॉमिक एनर्जी, डिफेंस सेक्टर, न्यूक्लियर मेडिसिन और रिसर्च के क्षेत्र में जॉब कर सकते हैं। न्यूक्लिअर इंजीनियरिंग प्रोफेशनल लैबोरेटरी, न्यूक्लियर प्लांट, शिक्षण संस्थानों और सरकारी एजेंसियों में नौकरी कर सकते हैं। कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं करने के बाद न्यूक्लिअर इंजीनियरिंग के बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। बेहतर करिअर के लिए छात्र न्यूक्लिअर इंजीनियरिंग के एमटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। एमटेक कोर्स में प्रवेश के लिए गेट स्कोर जरूरी होता है। यह कोर्स निम्न संस्थानों में उपलब्ध है- भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई। पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, गाँधीनगर (गुजरात)। एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई (तमिलनाडु)।