हमारे देश में पेठे की एक प्रमुख मिष्ठान के रूप में ख्याति प्राप्त है। आगरे का पैठा तो दुनिया भर में मशहूर है। शादी-ब्याह आदि विभिन्न मांगलिक अवसरों पर पेठे की काफी माँग होती है। रंग के आधार पर पेठा मुख्यत: दो प्रकार का होता है। एक हल्के हरे रंग का और दूसरा कुछ लालपन लिए होता है। बहरहाल अपने लजीज स्वाद के कारण इसकी हमेशा माँग रहती है। सहज उपलब्धता के कारण इसकी खास माँग रहती है। चूँकि पेठा निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल सहजता से हर जगह मिल जाता है अत: इस कारण भी इसका निर्माण और इसका विपणन काफी आसान है। निर्माण विधि- सर्वप्रथम कुम्हड़े (एक विशिष्ट प्रकार का कद्दू) को काटकर बीज निकालते हैं तथा छिलका उतारते हैं। फिर इसे बड़े-बड़े टुकड़ों में काट लेते हैं। एक बड़े कड़ाहे में पानी भरकर उसमें चूना डालते हैं और इस तरह तैयार चूना पानी में कुम्हडे रखते हैं तब तक शक्कर को सप्रेटा दूध से धो लेते हैं जिससे शक्कर में उपस्थित मैल आदि निकल जाए। तत्पश्चात शक्कर तथा पानी को कड़ाहे में उबालते हैं तथा दो बोरी शक्कर में लगभग 100 ग्राम रंग काट डालते हैं जिससे चाशनी तैयार हो जाए तथा रंग काट के कारण चाशनी का रंग बिल्कुल सफेद हो जाता है। लगभग एक घंटे में चाशनी तैयार हो जाती है जिसे छानकर ड्रम में भर लेते हैं। इसके बाद कुम्हड़े के टुकड़ों को कड़ाही में पानी के साथ लगभग 15 मिनट उबालते हैं तथा उबालते समय थोडा-सा रंग काट भी डालते हैं जिससे उसका रंग बिल्कुल सफेद हो जाए। एक बार में लगभग 3 डलियां (बड़ी तगारी) कुम्हड़े के टुकड़े लेकर पानी में उबालते हैं तथा इसके बाद इन टुकड़ों को ठंडे पानी में डालते हैं। ठंडा होने पर डलियों में निकाल लेते हैं इसके बाद इन टुकड़ों को चाशनी में डाल देते हैं। थालों में डालने के बाद अच्छी तरह से टुकड़ों को हिला लेते हैं। उलट-पलट लेते हैं जिससे टुकड़ों के ऊपर लगी अतिरिक्त चाशनी साफ हो जाए। इसके बाद पेठा टिनों में या गत्ते के कार्टून्स में पैक करके थोक में भेज दिया जाता है। रिटेल काउंटर में डिब्बों या टांसपेरेंट डिजाइनर बॉक्सों में पैक करके बेचा जाता है। इसके अतिरिक्त पेठे को कई विभिन्न स्वादों में भी तैयार किया जा सकता है जैसे अंगूरी पेठा, इलायची पेठा, केवड़ा आदि। मशीनरी/उपकरण- कडाही, झारे, पल्टे, गोदनी, डलियाँ, ड्रम, थाल आदि। कच्चा माल- कुम्हड़ा, शक्कर, रंग काट, सप्रेटा दूध, चूना (कलई), स्वाद के लिए इलायची, केवड़ा एसेंस, अंगूरी एसेंस आदि। इस इकाई की स्थापना से पहले यदि किसी पेठे की दुकान पर पेठे निर्माण की विधि का प्रशिक्षण ले लिया जाए तो यह और भी अच्छा होगा। इस इकाई की स्थापना से संबंधित विस्तृत विवरण के लिए आप अपने जिले में स्थित जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र से भी संपर्क कर सकते हैं।