वर्तमान समय में प्रकृति संरक्षण वृहद संभावनाओं से युक्त करियर क्षेत्र बन गया है। इसमें करियर के काफी अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। प्रकृति संरक्षण के अंतर्गत प्रमुख रूप से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, भू-संरक्षण आदि शामिल हैं, इन विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ प्रकृति के संरक्षण, सुधार और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रकृति संरक्षण विज्ञान में अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं-अक्षय ऊर्जा- निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता में वृद्धि के परिणामस्वरूप ऊर्जा के वैकल्पिक, प्राकृतिक, नवीकरणीय और अक्षय स्रोतों की खोज और उनका उपयोग जरूरी हो गया है। ऊर्जा के नवीकरणीय और अक्षय स्रोतों में सौर, पवन और जल ऊर्जा विशेष रूप से शामिल हैं और इस समय जैव ईंधन के उत्पादन के लिए अनुसंधान की प्रचुर संभावनाएँ हैं। जल संरक्षण और प्रबंधन - बढ़ते औद्योगीकरण के कारण जल स्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं तथा भू-जल भी प्रदूषण से मुक्त नहीं है। जल ही जीवन है इसीलिए जल का समुचित प्रबंधन और संरक्षण, खासतौर पर जैव साधनों से जरूरी हो गया है । इस क्षेत्र में अनुसंधान की बहुत उजली संभावनाएँ मौजूद हैं। अपशिष्ट प्रबंधन- हमारी धरा घरेलू, वाणिज्यिक, शहरी, औद्योगिक, कृषि जन्य और जैव चिकित्सकीय कचरे का भंडार बनती जा रही है । इस कचरे के निपटान हेतु इस क्षेत्र में अनुसंधान की प्रचुर संभावनाएँ हैं तथा इस क्षेत्र में करियर के काफी अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। परती भूमि का विकास- परती भूमि का अर्थ ऐसी जमीन से है जो शनै: शनै: बंजर होती जा रही है । उसे हरा-भरा बनाने के लिए अनुसंधान की प्रचुर संभावनाएँ हैं। जैव विविधता का संरक्षण-सूक्ष्म जीवों की विविधता की दृष्टि से भारत में सबसे अधिक विविधता पाई जाती है और इस जैव विविधता के संरक्षण हेतु अनुसंधान की प्रचुर संभावनाएँ हैं। विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक कार्यों, वायुमंडलीय कैमिस्ट, पारिस्थितिकीविद्, जल विज्ञानविद, ऊर्जा संरक्षणविद् , सरकारी पर्यावरण परामर्शदाता, पर्यावरण योजनाकार, पर्यावरण प्रबंधक, पर्यावरण इंजीनियर, पर्यावरण पत्रकार आदि के रूप में संबंधित क्षेत्र में प्रशिक्षित होकर आप काम कर सकती हैं । आप चाहें तो विभिन्न विश्वविद्यालयों या संस्थानों में शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में भी रोजगार प्राप्त कर सकती हैं, जिसके लिए नेट/स्लेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। हमारे देश में विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण से संंबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है । ये विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान बी.एससी. (पर्यावरण विज्ञान), बी.ई. (पर्यावरण विज्ञान), एम. एससी. (पर्यावण विज्ञान/पर्यावरणीय वनस्पति शास्त्र/पर्यावरणीय जीव विज्ञान/पर्यावरणीय विष विज्ञान/पर्यावरणीय प्रबंधन), एम.फिल, एम. टैक, (पर्यावरण इंजीनियरी), पीएच.डी., प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा और स्नातकोत्तर डिप्लोमा जैसे रोजगारोन्मुखी प्रकृति संरक्षण केेपाठ्यक्रमा संचालित करते हैं। प्रकृति संरक्षण एवं पर्यावरण विज्ञान से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रमों में विषय वस्तु और स्वरूप की दृष्टि से व्यापक भिन्नताएँ हैं । कुछ पाठ्यक्रमों में पूरी तरह भौतिक विज्ञानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जबकि कुछ अन्य पाठ्यक्रम विशेष रूप से प्रकृति संरक्षण से संबद्ध हैं और उनमें पारिस्थितिकी, प्रदूषण निगरानी एवं नियंत्रण, प्रभाव मूल्यांकन, पर्यावरणीय शिक्षा और विधि, पर्यावरणीय प्रबंधन और मानव स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन आदि विषय सम्मिलित हैं। पर्यावरण संरक्षण से संबंधित विभिन्न प्रमुख पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता इस प्रकार है- पर्यावरण संरक्षण विज्ञान के बी.एससी. डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता जीव विज्ञान/गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जैव प्रौद्योगिकी (विज्ञान विषय) के साथ इंटरमिडिएट उत्तीर्ण होना आवश्यक है । पर्यावरण के बी.ई./बी.टैक जैसी तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र और गणित के साथ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण विज्ञान के एम.एससी. पाठयक्रमोंं में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता वनस्पति विज्ञान, प्राणि विज्ञान, रसायन शास्त्र अथवा भौतिक शास्त्र, रसायनशास्त्र, गणित के साथ बी.एससी.उत्तीर्ण होना आवश्यक है । पर्यावरण संरक्षण विज्ञान के एम.ई./एम.टैक. पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता बी.ई./बी.टैक./ एम.एससी. उत्तीर्ण होना आवश्यक है । पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अन्य प्रमाणपत्र, डिप्लोमा एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु शैक्षणिक योग्यता बारहवीं से स्नातक तक पाठ्यक्रमानुसार है। पर्यावरण संरक्षण विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए विस्तृत क्षेत्र और अच्छा भविष्य है । अनुसंधान करने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि, के.एस. कृष्णन अनुसंधान एसोशिएटशिप आदि से भी छात्रवृत्ति प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा विदेशी फैलोशिप जैसे डीएएडी (जर्मनी), बेल्जियम सरकार की फैलोशिप, चीन सरकार की फैलोशिप और द्वीपक्षीय आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत अन्य फैलोशिप प्राप्त कर प्रकृति संरक्षण विज्ञान के क्षेत्र में डाक्टरेट और पोस्ट डाक््टरेट अनुसंधान कर सकते हैं। प्रकृति संरक्षण एïवं पर्यावरण विज्ञान से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रम इन प्रमुख संस्थानों/विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं- बी.एससी. तथा एम.एससी. इन इन्वायरमेंटल साइंस पाठ्यक्रम गवर्नमेंट होल्कर साइंस कॉलेज, इंदौर में उपलब्ध है। बी.एससी. इन इन्वायरमेंटल साइंस पाठ्यक्रम जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, भोपाल में उपलब्ध है। एम.एससी. इन इन्वायरमेंटल साइंस, एमएससी. इन अर्थ साइंस तथा एम.एससी. इन इन्वायरमेंटल केमेस्ट्री पाठ्यक्रम जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर में उपलब्ध है। पारिस्थितिकी और पर्यावरण में एम.एससी., पर्यावरण वनस्पति विज्ञान में एम.एससी., पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरी में एम.टैक. पाठ्यक्रम भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संस्थान, नई दिल्ली में उपलब्ध है । पर्यावरण विज्ञान में एम.एससी., एम. फिल. तथा पीएच.डी. पाठ्यक्रम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली में उपलब्ध है । एम.एससी. (पर्यावरण विज्ञान) पाठ्यक्रम पुणे विश्वविद्यालय, पुणे में उपलब्ध है । पर्यावरण विज्ञान में डिप्लोमा तथा मानव पारिस्थितिकी में डिप्लोमा पाठ्यक्रम राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में उपलब्ध है। बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (जल प्रबंधन) पाठ्यक्रम दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, दिल्ली में उपलब्ध है ।