भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। सार्वभौमिकरण के बाद भारत ने विश्व मंडी में कृषि-उत्पादों के एक आयातक एवं निर्यातक के रूप में एक व्यापक परिप्रेक्ष प्राप्त किया है। बागवानी हमारे देश में विभिन्न राज्यों के आर्थिक सुधार का आधार बन गई है। कृषि की जीडीपी में इसका योगदान लगभग 30.4 प्रतिशत है। विश्व की दृष्टि से भारत फलों तथा सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह आम, केले, नारियल, काजू, पपीते, अनार आदि के उत्पादन में सबसे अग्रणी है तथा मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक है। अंगूर केले, रतालू, मटर, पपीते आदि के उत्पादन में सबसे आगे है। बागवानी उत्पादों का उत्पादन तेजी से बढ़ा है, जो आहार-सुरक्षा तथा रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाता है, हाल के दशकों में बागवानी विषय में छात्रों का काफी रूझान बढ़ा है। बागवानी में व्यवसायीकरण के आने के साथ ही सरकारी, अर्ध-सरकारी तथा निजी उद्यमों में वैतनिक रोजगार की व्यापक संभावनाएँ हो गई हैं, जहाँ एक ओर विभिन्न सरकारी तथा निजी संस्थाओं में वैतानिक व्यवसाय नियमित आय देता है वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र में उद्यम आकर्षक लाभ दे सकता है। छात्रों के लिए देश में और विदेशों में भी रोजगार के अवसर हैं। स्नातक योग्यता के बाद छात्र बैंकों, वित्त क्षेत्रों, बीज कंपनियों, विक्रय एवं विपणन आदि द्वारा दिए जाने वाले रोजगार के लिए उपयुक्त होने के पात्र बन जाते हैं। राष्ट्रीयकृत बैंक, रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक आदि कृषि एवं बागवानी के स्नातकोत्तरों को कृषि अधिकारियों, परिवीक्षाधीन अधिकारियों, फील्ड ऑफिसर तथा ग्रामीण विकास अधिकारियों के रूप में अवसर देते हैं। विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय भी बागवानी स्नातकोत्तरों को उनकी विशेषज्ञता के संबंधित क्षेत्र में विशिष्ट पदों पर रोजगार में रखते हैं। तथापि अनेक पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में अनुभव आवश्यक होता है और एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर तथा अन्य अध्यापन पदों के लिए उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण होना चाहिए। जबकि वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में डॉक्टरल डिग्री अर्थात् पीएचडी. एक अनिवार्य अपेक्षा है। एम.एससी. कृषि (बागवानी) तथा पीएच.डी. (बागवानी) डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में निम्नलिखित रोजगार उपलब्ध हैं- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.), जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डी.बी.टी), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.), कृषि एवं संसाधित खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा), भारतीय विज्ञान संस्थान (आई.आई.एस.सी.), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.), राष्ट्रीय बीज निगम (एन.एस.सी.), कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (दोनों भारत सरकार के) आदि में वैज्ञानिक तथा तकनीशियन, विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा कृषि कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर आदि, राज्य सरकार में सहायक निदेशक-बागवानी, राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यमसे जिला बागवानी अधिकारी, इफको में बागवानी विशेषज्ञ/टेली फार्म विशेषज्ञ, बागवानी निरीक्षक/फल एवं सब्जी निरीक्षक/विपणन निरीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से सिविल सेवा, अनुसंधान एसोसिएट एवं वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता, ग्रामीण बागवानी विस्तार अधिकारी, अनुभाग अधिकारी (बागवानी/भूदृश्यांकन), बागवानीविद् या पर्यवेक्षक (बागवानी), वरिष्ठ बागवानी विकास अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्रों (के.वी.के.) में विषय विशेषज्ञ, विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में तकनीकी सहायक/तकनीकी अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्रों (के.वी.के.) में विभिन्न तकनीकी पदों पर रोजगार के अवसर है। इनके अतिरिक्त, विभिन्न निजी बीज कंपनियों, उर्वरक एवं पेस्टिसाइड कंपनियों कृषि/बागवानी छात्रों को अपनी फर्मों में रोजगार पर रखते हैं। यहाँ तक कि बड़े होटल तथा रेस्तरां भी अपने आस-पास के क्षेत्रों को सुंदर बनाने के लिए बागवानी-विदों, विशेषरूप में भूदृश्यांकनकर्ता (लैंडस्कैप एक्सपर्ट) तथा गार्डनर्स को रोजगार पर रखते हैं। पुष्प उत्पादक नर्सरीज मुख्य रूप से महानगरों में बागवानी विदों को अपने आकर्षक व्यवसाय में नियुक्त करते हैं। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र एवं कुछ अन्य एजेंसियों के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) भी बागवानी सलाहकार नियुक्त करते हैं। बागवानी में स्व-रोजगार बागवानी सलाहकार के रूप में उद्यान या फलोद्दान आदि पर सलाह देने, डिजाइन, मूल्यांकन, पर्यवेक्षण का कार्य कर सकते हैं। कोई भी अपना कृषि क्लीनिक चला सकता है। फल, सब्जी, फूल तथा सजावटी पौधों की व्यावसायिक नर्सरी चला सकते हैं। सब्जियों तथा पुष्प फसलों के बीज उत्पादक, फल/सब्जी/पुष्प उत्पादक, फ्लोरल डेकोरेटर/फ्लोरिस्ट शॉप, बागवानी सेवा कांट्रेक्टर, मशरूम उत्पादक, बीज डीलर/मर्चेंट, प्रोपाइटर-कोल्ड स्टोरेज, बागनानी उत्पादन के संसाधन कार्य तथा कोई भी व्यक्ति व्यावसायिक शिक्षा (बगावानी/भूदृश्यांकन) संस्थान चला सकता है।