बेर ग्रामीण क्षेत्र एवं जंगलों में पाया जाने वाला एक सर्वसुलभ खाद्य फल है जिसका स्वाद कुछ खट्टापन लिए हुए मीठा होता है। पका बेर सूखकर सिकुड़ जाता है तथा इसका रंग हल्का कत्थई हो जाता है। पके-सूखे बेर को पीसने से बेर का चूर्ण प्राप्त होता है जिसे आम बोलचाल की भाषा में बिरचुन कहा जाता है। बेर की प्रकृति अम्लीय, पित्त शामक तथा बिरेचक बतलाई जाती है, अत: उदर रोग में बेर या बिरचुन का प्रयोग लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त ग्रीष्म ऋतु में बिरचुन को सत्तू के समान पानी में घोलकर सेवन करने से क्षुधा शांत होती है तथा शारीरिक उष्णता कम होती है। सीमित मात्रा में बिरचुन बनाने के लिए पके सूखे बेर को घरेलू साधनों से पीस लिया जाता है। किन्तु व्यावसायिक स्तर पर बिरचुन निर्माण हेतु पल्वराइजर का उपयोग किया जाता है। बिरचुन व्यवसाय में कानपुर का स्थान उल्लेखनीय है। बिरचुन निर्माण की इकाई स्थापित करने के इच्छुक उद्यमी के लिए यह उचित होगा कि वह कानपुर जाकर बिरचुन व्यवसाय में संलग्न व्यक्तियों से संपर्क कर ले। इन व्यक्तियों के माध्यम से बिरचुन के उन संभावित क्रेताओं तक पहुँचा जा सकता है। ये संभावित क्रेता गटागट की गोलियाँ, खटाई/चटनी, खट्टा-मीठा चूरन, आयुर्वेदिक औषधियाँ आदि का निर्माण करने वाली कुछ औद्योगिक इकाइयाँ हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त ग्रीष्ण ऋतु में बिरचुन पॉलीथीन बैग्स में भरकर किराने की दुकानों के माध्यम से बेचा जा सकता है। बिरचुन की आवक शीत ऋतु में होती है। बिरचुन निर्माता इकाई वर्ष भर पका-सूखा बेर प्राप्त करने के लिए दो व्यवस्थाओं में से किसी एक का चयन कर सकता है। प्रथम आर्थिक रूप से सक्षम इकाई अपनी वर्षभर की आवश्यकतानुसार पका-सूखा बेर मौसम में खरीदकर रख ले तथा इसका समय-समय पर उपयोग किया जा सकता है। द्वितीय, अपेक्षाकृत अल्प निवेश वाली इकाई के लिए उचित होगा कि वह पका-सूखा बेर का संग्रह कर उसका व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों से समय-समय पर अपनी आवश्यकतानुसार पका सूखा बेर क्रय करते रहें। बिरचुन निर्माण हेतु आवश्यक कच्ची सामग्री अर्थात पके-सूखे बेर की वर्षभर उपलब्धता तथा बिरचुन की विपणन व्यवस्था- इन दोनों तथ्यों को सुनिश्चित कर प्रदेश जिला/तहसील/कस्बा स्तर पर बिरचुन निर्माण की इकाई स्थापित की जा सकती है। इसमें किसी विशेष तकनीकी कौशल की आवश्यकता नहीं होती। निर्माण प्रक्रिया- सर्वप्रथम सूखे बेर को पल्वराइजर में डाला जाता है। पिसे हुए बेर को छलनी में डालने पर बारीक पावडर को अलग कर लिया जाता है। बचे हुए कम बारीक पावडर को पुन: पल्वराइजर में डालकर बारीक कर लिया जाता है तथा इसके बाद इसे छान लिया जाता है। इसके उपरांत डब्बे या पोलीथीन में पैक करके बाजार में बेचा जाता है।