ब्रॉडकास्टिंग मास कम्युनिकेशन का ऐसा टूल है, जो ऑडियो और वीडियो कंटेंट को रेडियो तरंगों के माध्यम से वितरित करने में मदद करता है। टेलीविजन और रेडियो दो ऐसी प्रमुख मीडिया इंडस्ट्री हैं, जिसमें ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम का उपयोग होता है। देश में इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के विस्तार से ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग में करियर के चमकीले अवसर निर्मित हुए हैं। ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का ही एक हिस्सा माना जाता है। इसमें रेडियो और टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग से संबंधित उपकरणों, सिग्नल स्ट्रेंथ, कलर और आवाज इत्यादि के तकनीकी पहलू शामिल होते हैं। छात्र फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं करने के बाद इस क्षेत्र से संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। अधिकांश कॉलेजों में उपरोक्त स्ट्रीम के बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश जेईई मेन के स्कोर के आधार पर मिलता है। बैचलर डिग्री करने के बाद इसके पीजी कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा इसके डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्ध हैं। ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स करने के उपरांत ब्रॉडकास्ट इंजीनियर को रेडियो स्टेशन या टेलीविजन चैनल में बतौर ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट डिजाइन इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट सिस्टम इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट आईटी सिस्टम इंजीनियर के रूप में करियर के अवसर हैं। इंटरटेनमेंट कंपनियों में भी रोजगार के अवसर हैं। यह कोर्स निम्न संस्थानों में उपलब्ध है- सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन, पुणे। ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग सोसायटी, दिल्ली। इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, मेरठ। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, दिल्ली।