भूगर्भ विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी, उसका इतिहास पर्यावरण, खनिज आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। अब यह चट्टानों और खनिजों तक ही सीमित नहीं है बल्कि विज्ञान, रसायन विज्ञान, धातु इंजीनियरी आदि में भी इसका उपयोग होता है। भारत सरकार ने अर्थ साइंसेज नाम से नया मंत्रालय स्थापित किया है जिसमें भू संरचना, भूकंप, खनन, तेल की खोज जैसे विषय आ गए हैं। तेल तथा खनन क्षेत्रों में प्राइवेट तथा विदेशी कंपनियों के प्रवेश से भूगर्भ विज्ञान के करियर में चार चाँद लग गए हैं। संघ लोक सेवा आयोग भूगर्भ विज्ञान से जुड़ी विभिन्न रिक्तियाँ भरने के लिए परीक्षाएँ आयोजित करता है। इनमें जूनियर जियोलॉजिस्ट असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट, जूनियर हाइड्रो जियोलॉजिस्ट आदि के पद होते हैं। इस क्षेत्र में प्रायवेट कंपनियों में भी बहुत अच्छे अवसर हैं। इसी प्रकार कोल इंडिया, मिनरल एक्सप्लोरेशन अथॉरिटी, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, हिन्दुस्तान जिंक तथा अन्य कई संगठन भूगर्भ वैज्ञानिकों की नियुक्ति करते हैं। भूगर्भ वैज्ञानिक बनने के लिए विशुद्ध विज्ञानों के मूल सिद्धांतों की जानकारी आवश्यक है। भौतिक, रसायन, गणित तथा जीवविज्ञान का अच्छा ज्ञान होना चाहिए तथा भू विज्ञानों में गहरी दिलचस्पी होनी चाहिए। भूगर्भ-विज्ञान का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद। सेंट्रल फ्यूल रिसर्च इंस्टीट्यूट,, धनबाद, झारखंड। बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ । मध्यप्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में भूगर्भ विज्ञान का डिग्री पाठ्यक्रम उपलब्ध है।