निश्चित रूप से साइंस मैथ्स बेक ग्राउंड के स्टूडेंटस के लिए नई ड्रोन टेक्नोलॉजी में करियर के चमकीले अवसर मौजूद है। आपको बता दें कि टेक्निकल भाषा में कहें तो ड्रोन एक फ्लाइंग रोबोट होता है जो कि एक ऐसी स्व नियंत्रित रि-प्रोग्रामेबल बहुउद्देशीय मशीन होती है जिसे लोकोमोशन सहित विभिन्न एप्लिकेशन के लिए या विभिन्न कामों के लिए सामान्यत: प्रयोग में लाया जाता है। उल्लेखनीय है कि ड्रोन कई साइज़, शेप्स और फंक्शन्स में आते हैं। इन्हें आमतौर पर उन कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है जिसमें मानव उड़ान को जोखिम भरा माना जाता है। एडवांस ड्रोन का ज्यादातर सैन्य सेवाओं में उपयोग होता है, लेकिन अब खोज और बचाव, मौसम विश्लेषण आदि जैसे विभिन्न कार्यों में भी इनका उपयोग किया जाने लगा है। गौरतलब है कि ड्रोन को कई अलग-अलग केटेगरी में बाँटा जा सकता है। आकार के आधार पर ड्रोन तीन प्रकार के होते हैं। नैनो ड्रोन, मध्यम आकार के ड्रोन तथा बड़े आकार के ड्रोन। नैनो ड्रोन आमतौर पर आकार में बहुत छोटे होते हैं नैनो ड्रोन एक कीट के रूप में छोटे और लंबाई और चौड़ाई में केवल कुछ सेंटीमीटर के हो सकते हैं। नैनो ड्रोन को आमतौर पर जासूसों द्वारा लोगों और चीजों पर खुफिया नज़र रखने के लिए फ्लाइंग कैमरे एवं माइक्रोफोन के रूप में उपयोग किया जाता है, क्योंकि इस प्रकार के ड्रोन आसानी से दिखाई नहीं देते हैं। मध्यम आकार के ड्रोन भी छोटे होते हैं, लेकिन वे नैनो ड्रोन जितने छोटे नहीं होते हैं। आमतौर पर, इन्हें आसानी से अपने हाथों का उपयोग करके उड़ाया जाता है। बड़े ड्रोन आकार में बहुत बड़े होते हैं। उनका वज़न 300 किलोग्राम तक हो सकता है। सामान्यतः इस प्रकार के ड्रोन का उपयोग सेना द्वारा दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने अथवा आतंकियों को मारने में किया जाता है। इस प्रकार के ड्रोन में छोटे आकार की मिसाइल तक फिट की जा सकती है। इस प्रकार के बड़े ड्रोन छोटे एयरक्राफ्ट्स के आकार से मेल खाते हैं। ये युद्ध के क्षेत्रों में विशेष उच्चस्तरीय निगरानी रखने के लिए भी सेना द्वारा उपयोग किए जाते हैं। आमतौर पर इन ड्रोनों पर सेना हाई रिजोल्यूशन के कैमरे लगाती हैं जो आकाश में बहुत ऊँचाई से साफ तस्वीरें ले सकते हैं। इस प्रकार के ड्रोन जीपीएस तथा सेना के सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित होते हैं। गौरतलब है कि रोजमर्रा के जीवन में हम मल्टी रोटर ड्रोन आमतौर पर देखते हैं। ये लंबे समय तक हवा में एक स्थिर स्थिति बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। ये कई मोटर्स के साथ डिज़ाइन किए गए होते हैं जो इन्हें हवा में स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं। इस कारण से मुख्य रूप से उनका उपयोग हवाई निगरानी और शादी, बर्थडे आदि समारोह की एरियल फोटोग्राफी के लिए किया जाता है। इसी प्रकार लॉजिस्टिक्स एवं प्रोडक्ट डिलेवरी से जुड़ी कंपनियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले ड्रोन सैटेलाइट से जुड़े हुए होते हैं और इससे उनकी उड़ान पथ तय करने में मदद मिलती है। वे एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से जा सकते हैं और जब वे कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं, तो वे जीपीएस के माध्यम से ओनर के पास वापस नेविगेट कर सकते हैं। जिस तरह से दिन प्रतिदिन ड्रोन की माँग बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए ड्रोन टेक्नोलॉजी एक शानदार एवं चमकदार करियर बनता जा रहा है। चूँकि ड्रोन एक फ्लाइंग रोबोट होता है इसलिए ड्रोन का अध्ययन रोबोटिक्स इंजीनियरिंग के अन्तर्गत ही किया जाता है। रोबोटिक्स इंजीनियरिंग के अंतर्गत ड्रोन की डिजाइनिंग, उनका अनुरक्षण, नए एप्लिकेशन का विकास और अनुसंधान जैसे काम सम्मिलित किए जाते हैं। ड्रोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है। इंजीनियरिंग की रोबोटिक्स शाखा में ड्रोन का विकास तथा उपयोग करने के लिए तकनीकी दक्षता सिखाई जाती है। इसमें डिजाइन इंस्ट्रक्शन, ऑपरेशन टेस्टिंग, सिस्टम मेंटेनेंस तथा रिपेयरिंग आदि शामिल हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए रोबोटिक्स, कम्प्यूटर, आईटी, मेकेनिकल, मेकेट्रोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स अथवा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक की डिग्री प्राप्त करना आवश्यक है। यदि आप ड्रोन टेक्नोलॉजी में डिजायनिंग तथा कंट्रोल में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करनी होगी। कंट्रोल तथा हार्डवेयर में डिजाइनिंग के लिए इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक डिग्री लाभदायक होती है। ड्रोन टेक्नोलॉजी में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले छात्र गणित में बहुत अच्छे होने चाहिए। ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने हेतु 12वीं कक्षा में भौतिक एवं गणित विषय होना नितांत आवश्यक है। इसके साथ ही साथ उच्चतम प्रतियोगी तथा तकनीकी क्षेत्र में आविष्कार तथा कुछ नया करने के लिए सृजनात्मक योग्यता भी बेहद जरूरी है। ड्रोन टेक्नोलॉजी में कोर्स करने वाले छात्र भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा इसरो जैसे संगठनों में रोजगार के विशिष्ट अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही सेना, लॉजिस्टक्स, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, खनन, परमाणु ऊर्जा संयंत्र जैसे क्षेत्रों में करियर निर्माण के दरवाजे खुल जाते हैं। जहाँ तक इस क्षेत्र में पारिश्रमिक का प्रश्न है, इस क्षेत्र में बेहतरीन वेतन प्रदान किया जाता है। सामान्यत: आरंभिक वेतन 50 हजार से 1 लाख रुपए मासिक के बीच होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा आकर्षक वेतन एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), मुंबई, दिल्ली, कानपुर, मद्रास, खडग़पुर, गुवाहाटी, रूडक़ी आदि। • सेन्टर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग, मुंबई/पुणे। • बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानी। • सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड रोबोटिक्स, बैंगलुरू। • जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता। • थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियंरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पटियाला। • नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली।